निजीकरण के विरोध में सड़कों पर उतरे शिक्षक

मण्डला। प्रदेश में शिक्षा के निजीकरण के विरोध में शिक्षा बचाओ शिक्षक अध्यापक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सोमवार को सैंकड़ो अध्यापक और शिक्षक सड़को पर आ गये और शिक्षा के निजीकरण के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुये कलेेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम एडीशनल कलेक्टर को ज्ञापन सौंपां।


शिक्षा के निजीकरण को लेकर शिक्षक और अध्यापक समुदाय में गहरा आक्रोश दिनो दिन पनप रहा है। शिक्षा बचाओ शिक्षक अध्यापक संयुक्त मोर्चा के आव्हान पर जिले मुख्यालय के मूल्यांकन केन्द्र में प्राचार्य से लेकर शिक्षक और अध्यापक सभी ने काली पट्टी बांधकर मूल्यांकन कार्य किया और कहा कि यह क्रम जारी रहेगा यदि सरकार इस मामले में शीघ्र अपना वक्तव्य नहीं देती है तो शिक्षक मूल्यांकन का बहिष्कार भी कर सकते हैं।

संयुक्त मोंर्चा ने अपने ज्ञापन में कहा है कि एक कल्याणकारी राज्य की कल्याणकारी सरकार द्वारा प्रदेश की शिक्षा को निजी  हाथों में सौपने का प्रस्ताव लाया गया है इससे जिले के सभी शिक्षक एवं अध्यापक समुदाय निराश हैं कुण्ठित हैं और इसे लेकर इस समुदाय में गहरा आक्रोश है। इसके विरोध में जिले के शिक्षक और अध्यापक संगठनो द्वारा निदां प्रस्ताव पारित कर ’’शिक्षा बचाओ शिक्षक अध्यापक संयुक्त मोर्चा’’ का गठन किया गया है।

जिले के सभी शिक्षक और अध्यापक संगठनों का मानना है कि शिक्षा एक जन कल्याण का विषय है और सरकार पहले ही संविधान के अनुच्छेद 243 ळ के द्वारा शिक्षा को पंचायतों को सौंप चुकी है  साथ ही शिक्षा का अधिकार कानून के अन्तर्गत अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। ऐसें में शिक्षा के निजीकरण का शासन का विचार गरीब व्यक्ति और समाज के हित में नहीं हैं।

संयुक्त मोर्चे द्वारा प्रस्तावित बिंदुओं पर गभ्भीरता पूवर्क विचार किया जाये तो प्रदेश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है। मोर्चा ने अपने मांग पत्र में मांग की है कि

1. शिक्षकों से समस्त प्रकार के गैर शिक्षकीय कार्यो को पूर्णतः बंद कराया जाये।
2. विद्यालय में दर्ज संख्या के मान से शिक्षकों की पद पूर्ति की जाये।
3. प्राचार्य और प्रधानाध्यापकों के खाली पदों को भरा जावे और उन्हैं अधिकार सम्पन्न बनाया जावे।
4. शिक्षकों की मल्टीकेडर प्रथा समाप्त की जावे।
5. विद्यालय में सभी भौतिक संसाधन विद्युत्त, कम्प्यूटर, इण्टरनेट, फर्नीचर, सुसज्जित प्रयोगशाला की पूर्ति की जावे।
6. जब तक सभी विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों की पदपूर्ति न हो जावे कोई भी नई शाला न खोली जावे।
ज्ञापन म.प्र.शिक्षक कांग्रेस के निरंजन कछावाहा ललित दुबे, राज्य अध्यापक संघ के डी.के.सिंगौर रवीन्द्र चैरसिया अध्यापक सह सविंदा शिक्षक संघ के संजीव वर्मा आशीष वाजपेयी के नेतृत्व में सौंपा गया।

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