मंदी के चलते 7 इंजीनियरिंग कॉलेज ने किया पेकअप

जबलपुर। शहर में 5 साल पहले तक जितनी तेजी के साथ इंजीनियरिंग कॉलेज खुले अब उसी तेजी के साथ बंद भी होने लगे हैं। इंजीनियरिंग में छात्रों का रुझान घटने से मंदी की मार झेल रहे कई कॉलेजों की स्थिति यह हो गई है कि भारी-भरकम बिल्डिंग का बिजली बिल भी निकालना मुश्किल हो रहा है। ऐसे हालात में शहर के 7 इंजीनियरिंग कॉलेज पैकअप करने के मूड में आ गए हैं।

एक संस्थान इसमें सफल भी हो गया। वहीं दो के बंद होने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। शहर में इस समय इंजीनियरिंग के कुल 21 कॉलेज हैं। इसमें एक सरकारी और 20 प्राइवेट कॉलेज शामिल हैं।

10-20 स्टूडेंट ही मिले
कुछ साल पहले इंजीनियरिंग की डिमांड को देखते हुए इंजीनियरिंग कॉलेजों ने बड़ी संख्या में सीटें ले लीं। लेकिन सीटों की अपेक्षा स्टूडेंट नहीं मिले। पिछले साल कई कॉलेज ऐसे थे जिनमें 10 से 20 स्टूडेंट ने ही एडमिशन लिया। कई संस्थान आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट का एडमिशन लेकर सरकारी स्कॉलरशिप के सहारे अपना खर्च निकाल रहे थे। इस प्रक्रिया में भी बदलाव होने के बाद उनकी आय सीमित हो गई। स्टूडेंट की कमी से कॉलेज तय मापदंड को भी पूरा नहीं कर पा रहे। कई कॉलेजों में मेन्टेनेंस और स्टॉफ का वेतन भी निकलना मुश्किल होने लगा है।

प्रकाश इंजीनियरिंग कॉलेज बंद
प्रकाश इंजीनियरिंग कॉलेज को बंद करने की मंजूरी एआईसीटीई, आरजीपीवी और टेक्निकल एजुकेशन से मिल चुकी है। ओरियंटल इंजीनियनिंग कॉलेज नंबर 1 और 2 ने भी संस्थान को बंद करने का आवेदन दिया है। टेक्निकल एजुकेशन विभाग से बंद करने के लिए एनओसी भी जारी हो चुकी है। इसके अलावा भेड़ाघाट रोड़ पर स्थित एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज ने भी बंद करने के लिए प्रक्रिया तेज कर दी है। पाटन और बरेला रोड़ पर खुले 3 इंजीनियरिंग कॉलेज स्टूडेंट की कमी के कारण बुरे दौर से गुजर रहे हैं। उनकी सीट भरने का आकड़ा सैकड़ा को पार नहीं कर पाया है। इस साल भी उन्हें सीट भरने के आसार नहीं लग रहे हैं। ऐसे में उन्होंने भी मार्केट में खरीददार खोजना शुरू कर दिया है।

बेशकीमती जमीन
इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए करोड़ों रुपए का इन्वेस्टमेंट होता है। एजुकेशन के नाम पर जमीन ली जाती है। ऐसे में कॉलेज बंद करने के बाद कई कॉलेज जमीन का कमर्शियल यूज करने की तैयारी में हैं।

बंद करना आसान नहीं
इंजीनियरिंग कॉलेज खोलना और बंद करना आसान नहीं है। डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी और एआईसीटीई तीनों जगह से अनुमति मिलने के बाद ही संस्थान को बंद किया जा सकता है। कॉलेज में एडमिशन ले चुके स्टूडेंट को दूसरे कॉलेज में शिफ्ट करने की भी कार्रवाई करनी होती है। विभाग स्टूडेंट की सुविधा देखने के बाद ही कॉलेज बंद करने की अनुमति देता है।

प्रकाश इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो चुका है। ओरियंटल इंजीनियरिंग कॉलेज को बंद करने की प्रक्रिया चल रही है। अभी एआईसीटीई कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट की व्यवस्था करेगी। उसके बाद ही मंजूरी दी जाएगी।
प्रदीप झिंगे, प्राचार्य जेईसी

मेरी जानकारी में ओरियंटल इंजीनियरिंग कॉलेज जबलपुर को संस्थान बंद करने के लिए एनओसी दी जा चुकी है।
लक्ष्मीकांत रेड्डी
असिस्टेंट डायरेक्टर, टेक्निकल एजुकेशन भोपाल

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