The Mobile Store से नशे की तस्करी

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ग्वालियर। सिटी सेंटर स्थित फॉर्च्यून प्लाजा में एसआर कंपनी के द मोबाइल स्टोर में फोन के डिब्बे से स्मैक बरामद की गई है। पुलिस ने स्टोर इंचार्ज जितेंद्र शर्मा सहित तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है। जितेंद्र का कहना है कि किसी ने उसे फंसाने के लिए मोबाइल के खाली डिब्बे में स्मैक रखकर यहां छोड़ दिया।

शुक्रवार की दोपहर 12 बजे के लगभग यूनिवर्सिटी पुलिस को सूचना मिली कि सिटी सेंटर में एसएसपी ऑफिस से चंद कदम की दूरी पर फॅार्च्यून प्लाजा स्थित द मोबाइल स्टोर से स्मैक बेची जा रही है। मोबाइल स्टोर खुलते ही पुलिस पहुंच गई। एक एएसआई व 2 जवानों ने पूरा शोरूम खंगाला, भगवान का मंदिर भी उठाकर देखा, लेकिन स्मैक नहीं मिली। जांच के बाद पुलिस बाहर निकल आई।

स्टोर से बाहर आते ही एक कॉल आया
पुलिस पार्टी व उसके साथ मौजूद लोगों में से किसी एक पर फोन आया कि ठीक ढंग से जांच नहीं हुई। गेट के पास रखे डिब्बों में ही स्मैक है। इस पर पुलिस फिर मोबाइल स्टोर में दाखिल हो गई। डिस्प्ले के लिए लगाया गया एक खाली डिब्बा उठाकर देखा तो उसके अंदर एक और डिब्बा निकला। इस डिब्बे में छोटी-छोटी लगभग आठ पुड़ियां निकली। इनमें सफेद रंग का पावडर जैसा पदार्थ था। सूंघने पर इसका असर आंखों पर भी हो रहा था। पुलिस का कहना था कि यह स्मैक है। पुलिस ने स्टोर के संचालक जितेंद्र शर्मा निवासी रेलवे कॉलोनी, प्रवीण निवासी मुरार व नीरज शर्मा को हिरासत में ले लिया और स्टोर में ताले डाल दिए।

सेल्समैन ने फंसाया
पुलिस की कस्टडी में लेते ही जितेंद्र की आंखें भर आईं। उसका कहना था कि उसे फंसाने के लिए यह किसी की साजिश है। उसे नहीं पता कि स्मैक का डिब्बा कहां से आया। अगर स्मैक ही बेचनी होती तो वह साढ़े सात हजार रुपए महीने की नौकरी क्यों करता। उसका कहना है कि एसआर कंपनी के इस स्टोर पर मोबाइल कंपनियों के प्रतिनिधि अपनी-अपनी कंपनी के हैंडसेट बेचते हैं, लेकिन टारगेट को लेकर मुझ पर दबाव रहता है। कुछ दिन से कंपनी स्टोर की सेल बढ़ाने के लिए दबाव डाल रही थी। नोकिया कंपनी का सेल्समैन अमित निवासी डबरा ग्राहकों पर ध्यान देने की बजाए इधर-उधर घूमता रहता था। इसकी सूचना मैंने अपने अधिकारियों को दी। दो दिन पहले उसे दूसरे स्टोर में शिफ्ट कर दिया। आशंका है कि उसी ने मुझे फंसाया है।

IMI नंबर की चिट गायब है
इंटेक्स कंपनी के मोबाइल के डिब्बे में स्मैक की पुड़ियां मिली हैं। उस डिब्बे से आईएमईआई नंबर की चिट हटा दी गई है। इस नंबर से पुलिस इस बात का पता लगा लेती कि इस डिब्बे का मोबाइल कौन उपयोग कर रहा है।

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