बेमौसम बारिश से नुक्सान कम फायदा ज्यादा: शिवराज सरकार

भोपाल। खेती को फायदे का सौदा बनाने का संकल्प लेकर सीएम बने शिवराज सिंह चौहान के अधिकारियों का आंकलन है कि हाल ही में हुई बेमौसम बरसात का नुक्सान बहुत कम हुआ है लेकिन फायदा बहुत ज्यादा है। कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.राजेश कुमार राजौरा का कहना है कि इस बारिश से करीब 13-14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के गेहूं को फायदा पहुंचा है

मात्र 15 जिले हुए प्रभावित
प्रदेश में तीन दिन से हो रही बारिश से रबी फसलों को थोड़ा नुकसान पहुंचा है। कृषि और राजस्व विभाग नुकसान के आकलन में जुटे हैं। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक 15 जिलों में गेहूं की फसल को 6 से लेकर 1 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। धनिया और ईसबगोल में 50 से 70 फीसदी तक क्षति हुई है। नुकसान की रिपोर्ट कलेक्टरों से अलग से मांगी गई है।

कृषि विभाग का कहना है कि झाबुआ, ग्वालियर, खडवा और बड़वानी में 5 से 6 प्रतिशत गेहूं और चना की फसल को नुकसान हुआ है। यहां फसल हवा और पानी से खेतों में बिछ गई है। मंदसौर, नीमच, भोपाल, रायसेन, विदिशा, सीहोर, हरदा, छतरपुर, मुरैना और भिंड में 1 से 4 फीसदी नुकसान के आसार हैं। रीवा के 154 गांवों में ओले से 50 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। जवां, त्यौंथर और नवगढ़ी विकासखंड में ज्यादा नुकसान हुआ है।

चने पर दाग
चना की 50 प्रतिशत फसल कट चुकी है, इसलिए नुकसान कम है। जो फसल खेतों में है, उसके दाने में दाग और झिरी पड़ सकती है। सरसों की फसल को भी व्यापक नुकसान होने की खबर कृषि विभाग को मिली है। रबी सीजन की सबसे संवेदनशील फसल मसूर भी खेतों में कटाई के लिए तैयार है। इसके भी प्रभावित होने की आशंका है। मटर की उत्पादकता कम होने और उद्यानिकी फसलों में धनिया व ईसबगोल को सर्वाधिक नुकसान हुआ है। कृषि विभाग का कहना है कि यदि बारिश जारी रहती है तो खेती को बड़ा नुकसान हो सकता है।

यहां फायदेमंद बारिश
कृषि विभाग का मानना है कि गेहूं के हिसाब से जबलपुर, शहडोल, रीवा, ग्वालियर और मुरैना संभाग में क्षति बेहद कम है। यहां बोवनी दिसंबर में हुई। इसलिए फसल को पानी और तापमान में कमी की दरकार थी, जो बारिश से पूरी हो गई।

नुकसान कम फायदा ज्यादा
कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.राजेश कुमार राजौरा का कहना है कि इस बारिश से करीब 13-14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के गेहूं को फायदा पहुंचा है। यहां तापमान अधिक होने की वजह से फसल प्रभावित हो रही थी। जो नुकसान फौरी तौर पर सामने आया है वह बहुत कम है। जो फसल खेत में बिछ गई है वो मौसम खुलने पर फिर खड़ी हो सकती है। धनिया और ईसबगोल को बड़ा नुकसान हुआ है। क्षति का आकलन किया जा रहा है।

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