उत्तराखण्ड के पिथोरागढ जिले की तहसील डीडीहाट में है भगवान शिव का ऐसा मंदिर जहां पूजा- अर्चना पूरी तरह वर्जित है। भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर का नाम है 'एक-हथिया देवाल'। उत्तर भारत का यह अनूठा मंदिर माना जाता है।
इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है। इतिहासकार इस मंदिर को राजा कत्यूरी के शासनकाल का बताते हैं। पौराणिक काल में मंदिर क्षेत्र को माल तीर्थ के नाम से जाना जाता था। इतिहास गवाह है कि कत्यूरी राजा कलात्मक मंदिरों के निर्माण के लिए विख्यात रहे हैं।
इसलिए नहीं होती पूजा
एक किंवदंती के अनुसार 'एक शिल्पी ने एक ही रात में एक हाथ' से इस मंदिर का निर्माण किया। इसी कारण इसका नाम एक-हथिया मंदिर रखा गया। जब राजा को यह बात पता चली तो उसने यह सोच कर कि इससे अच्छा मंदिर और न बने, शिल्पी का हाथ कटवा दिए। इस घटना को अपशकुन मानते हुए भी जनता ने मालिका तीर्थ में स्नान करना और मंदिर में पूजा अर्चना करनी छोड़ दी।
अद्भुत स्थापत्य कला
मंदिर की स्थापत्य कला नागर और लैटिन शैली की है। चट्टान को तराश कर बनाया गया यह पूर्ण मंदिर है। चट्टान को काट कर ही शिवलिंग बनाया गया है। मंदिर का साधारण प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा की तरफ है। मंदिर के मंडप की ऊंचाई 1.85 मीटर और चौड़ाई 3.15 मीटर है। मंदिर को देखने दूर- दूर से लोग पहुंचते हैं, परंतु पूजा अर्चना निषेध होने के कारण केवल देख कर ही लौट जाते हैं।
