ग्वालियर। सिंचाई विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर जीएस श्रीवास्तव के बलवंत नगर स्थित बंगले पर सिंघम स्टाइल में छापामारी करने गई लोकायुक्त टीम के हाथ कुछ खास नहीं लग पाया। सिरखुजलाती लोकायुक्त टीम अब खुद को सही साबित करने के लिए गुणाभाग कर रही है।
क्या क्या मिला
बंगले में एशो-आराम का सामान- 20.75 लाख ।(फर्नीचर आदि)
एलआईसी में इंवेस्टमेंट--- 6.14 लाख
शेयर में इंवेस्टमेंट- 2.91 लाख
एफडी----------- 30 हजार
घर में सोने-चांदी के गहने --.7.92 लाख -
बैंक खातों में जमा राशि--- 9.96 लाख
कार व बाइक- 4.31 लाख
बंगले के पीछे खाली प्लॉट- रजिस्ट्री की कीमत 24.50 लाख
अलीशान दो मंजिल बंगला- रजिस्ट्री कीमत 1.50 लाख
अंग्रेजी शराब 4500 रुपए
अब सारी जिंदगी नौकरी करने वाले एक अधिकारी की कुंडली की कुल कीमत यदि 2 करोड़ मात्र आ रही है तो क्या यह बहुत ज्यादा है। इतना ज्यादा कि 15 महीने पहले रिटायर हो चुके अधिकारी को काला चोर बोल दिया जाए। सभी लोग बेहतर जानते हैं हर शहर की हर कालोनी में कम से कम 10 ऐसे सरकारी कर्मचारी मिल जाएंगे जिनकी ऐसी लिस्ट बनाई जाए तो संपत्तियों की कुल कीमत 2 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी।
लोकायुक्त ने कड़कड़ाती सर्दी में सुबह 6.30 बजे छापामार कार्रवाई की शुरूआत की। टीम यदि दोपहर ढाई बजे पहुंचती तो भी कुछ बदलने वाला नहीं था परंतु ये एक स्ट्रेटजिकल स्टेप था। पूरे 7 घंटे तक टीम सीई के घर का कोना कोना छानती रही, बेटे की बाइक से लेकर पापा की शराब तक सबकी कीमतों का पता लगाया, परंतु उसे कुछ खास हाथ नहीं लगा। लोकायुक्त ने यहां आय से अधिक कमाई के मामले में छापामारी की है।
इस तरह के छापों में एक बड़ा मजेदार विरोधाभास देखने को मिलता है। यहां भी मिला। लोकायुक्त की टीम यह पता लगाने की कोशिश करती रही कि प्लॉट और बंगलों की वर्तमान कीमत कितनी है, सोने के गहनों की वर्तमान कीमत कितनी है परंतु उसने यह जानने की कोशिश बिल्कुल नहीं की कि कार और बाइक की वर्तमान कीमत अब कितनी रह गई।
