दैनिक भास्कर की मुहिम को हाईकोर्ट का झटका

भोपाल। BRTS लेन में स्कूल बस चलाने के समर्थन में शुरू की गई दैनिक भास्कर की मुहिम को बड़ा झटका लगा है। दैनिक भास्कर अब इस मुहिम का आगे नहीं बढ़ा पाएगा ​क्योंकि BRTS लेन के संदर्भ में जबलपुर हाईकोर्ट का एक फैसला आ गया है जिसमें कहा गया है कि BRTS में सिर्फ अधिकृत बसें, एम्बुलेंस और फायर बिग्रेड ही दौड़ सकती हैं।

यह फैसला शुक्रवार को जबलपुर हाई कोर्ट के जस्टिस राजेंद्र मेनन ने ओपन कोर्ट में सुनाया। फैसले का आधार पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को माना है। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के जस्टिस एनके मोदी के फैसले के बाद से बस लेन में कारें व अन्य चार पहिया वाहन भी दौड़ रहे हैं।

आई-बस लेन में कार दौड़ाने के आदेश के खिलाफ इंदौर प्रशासन ने रिव्यू पिटिशन दायर की थी। जिस पर इंदौर के जस्टिस पीके जायसवाल और प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ ने फैसला सुनाते हुए अलग-अलग मत दिए थे। फैसला स्पष्ट न होने से प्रकरण चीफ जस्टिस के पास पहुंचा, जिसके बाद जबलपुर के जस्टिस राजेंद्र मेनन ने शुक्रवार को सभी पक्षों को सुनकर फैसला दिया।

कोर्ट ने साफ किया कि बस लेन में सिर्फ आई-बस, एम्बुलेंस व फायरब्रिगेड ही चलेंगे। लगभग 25 मिनट चली बहस में याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी ने अपना पक्ष रखा, वहीं प्रशासन की ओर से एआईसीटीएसएल के सीईओ संदीप सोनी, असिस्टेंट मैनेजर संदीप श्रोत्रीय मौजूद थे।

इंदौर खंडपीठ के दो जजों के थे अलग-अलग मत
जस्टिस पीके जायसवाल: बीआरटीएस को ओपन रखा जाना न्यायोचित है।
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव: एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक लेन में बसें ही चलना चाहिए।

बहुमत के आधार पर होता है फैसला
हाई कोर्ट के नियम अनुसार जब युगलपीठ के दो न्यायमूर्ति किसी मामले को लेकर अलग-अलग मत देते हैं तो वह 'डिफरेंस ऑफ ओपीनियन" कहलाता है। ऐसी स्थिति में मामला तीसरे जज के पास पहुंचता है। देखना यह होता है कि तीसरे जज का मत किस जज के मत से मेल खा रहा है। बीआरटीएस को लेकर अब तीन जजों के मत सामने हैं, जिसमें दो जजों के मत मिल रहे हैं। यानी अब फैसला बहुमत के आधार पर हुआ है।
रविनंदन सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता

क्या असर...
2 से 3 मिनट में मिलेगी बस
बीआरटीएस में 21 बस स्टॉप हैं। बस लेन में अन्य वाहन चलने से स्टॉपों पर बसें देरी से पहुंच रही हैं और 4 से 5 मिनट तक का समय भी लगता है। क्लोज लेन होने से अब 2 से 3 मिनट में बसें मिल पाएंगी।
फिलहाल 28 आई बस बीआरटीएस पर दौड़ती हैं। यात्री संख्या बढ़ने पर 35 से ज्यादा बसें दौड़ेंगी।

क्या फायदा
साढ़े 11 किमी लंबे बीआरटीएस में पहले से अंतिम बस स्टॉप तक जाने में 50 से 55 मिनट का समय लगता है। अब 35 से 40 मिनट में सफर तय हो सकेगा।
ओपन लेन होने के कारण आई बसों की रफ्तार फिलहाल 14-15 किमी प्रति घंटा रहती है, जबकि आदेश लागू होने के बाद यह बढ़कर 18 से 20 किमी प्रति घंटे हो जाएगी।
बस लेन में चार पहिया वाहनों के चलने के बाद से साल भर में 50 से अधिक छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं।
अभी 35 से 40 हजार यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं। सफर में कम समय लगने से आंकड़ा 50 तक पहुंच सकता है।

कब से लागू होगा फैसला?
कोर्ट से फैसले की प्रति मिलने के बाद बस लेन में दूसरे वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होगी।

यदि किसी वाहन ने प्रवेश किया तो ?
आई बस लेन में दूसरे वाहन चलाने पर 500 रुपए जुर्माना लगेगा। बीआरटीएस के प्रमुख जंक्शन पर सिग्नलों का सिंक्रोनाइजेशन हो सकेगा। इससे आई बसों को जंक्शन क्रॉसिंग में प्राथमिकता मिलेगी।

देशभर में कहां-कहां क्लोज बीआरटीएस
अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और भोपाल में क्लोज बीआरटीएस लेन है। यानी बस लेन में सिर्फ बसें ही चलती हैं। पुणे में पहले फेज में बना बीआरटीएस क्लोज नहीं है। दिल्ली में भी बीआरटीएस की ओपन लेन है।

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