वित्त विभाग के कर्मचारियों को दोहरा वेतनमान

भोपाल। खाली खजाने के नाम पर बार बार टैक्स बढ़ाने वाले वित्त विभाग के अधिकारी/कर्मचारी खुद खजाने को चूना लगा रहे हैं। दूसरे कर्मचारियों की वेतनवृद्धि की अनुशंसाओं पर नेगेटिव टिप्पणी कर रहे हैं परंतु खुद दोहरे वेतनमान का लाभ ले रहे हैं। जबकि नियमानुसार किसी भी विभाग में दोनों में से केवल एक योजना लागू रह सकती है। आप इसे संस्थागत/संगठित भ्रष्टाचार भी कह सकते हैं। 

दरअसल, राज्य सरकार ने एक अप्रैल 2006 से क्रमोन्न्ति को समाप्त कर समयमान-वेतनमान योजना को लागू किया था लेकिन विशिष्ट सेवा वाले विभागों में शामिल वित्त, राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा में इस योजना को यथावत इस शर्त पर रखा कि यदि विभाग समयमान-वेतनमान का लाभ लेना चाहते हैं तो उन्हें कैबिनेट में प्रस्ताव मंजूर करवाना होगा।

इसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि समयमान-वेतनमान लागू करने पर संबंधित विभाग को क्रमोन्न्ति योजना समाप्त करनी होगी। वित्त विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव जीपी सिंघल ने वर्ष 2009 में कैबिनेट में प्रस्ताव ले जाकर विभाग में समयमान-वेतनमान को लागू करवा लिया, लेकिन क्रमोन्न्ति योजना को समाप्त नहीं किया।

इसके चलते विभाग के अधिकारी दोहरे वेतनमान का लाभ उठा रहे हैं। जिन अधिकारियों ने पहले क्रमोन्‍नति का लाभ ले लिया था, वर्ष 2012 में पद बढ़ने के बाद वे अब समयमान-वेतनमान का लाभ ले रहे हैं। जबकि सभी विभागों में केवल समयमान-वेतनमान योजना ही लागू है।

एक नजर में
- क्रमोन्‍नति योजना में 6 साल की सेवा के बाद वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान और 10 साल की सेवा के बाद प्रवर श्रेणी वेतनमान मिलता है।
- समयमान-वेतनमान में द्वितीय श्रेणी को 10 साल की सेवा पर वरिष्ठ और 20 साल की सेवा पर प्रवर श्रेणी वेतनमान मिलता है। वहीं तृतीय और चतुर्थ श्रेणी को 8 साल पर वरिष्ठ और 16 साल की सेवा पर प्रवर श्रेणी वेतनमान मिलता है।

इनका कहना है
विभाग में दो वेतनमान लागू होने की बात मेरे संज्ञान में आई है। मैं पूरे मामले का परीक्षण करवा रहा हूं, कहां क्या गड़बड़ है। जो भी उचित होगा, निर्णय लिया जाएगा।
अजय नाथ
अपर मुख्य सचिव वित्त

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!