भोपाल/इंदौर। एक वक्त वह भी था जब पार्टी का झंडा कंधे पर लेकर कार्यकर्ता कुछ ऐसे सीना ताने चला करते थे मानो उनके लिए यह गर्व की बात है। छोटे-बड़े कार्यकर्ता जनसभाओं और जनसंपर्क के दौरान दरी और झंडे उठाकर अपना कद बढ़वाते थे। पार्टी की सेवा के चलते ही कुछ विधायक बने तो कुछ प्रधानमंत्री भी बन गए, लेकिन अब जमाना बदल गया है। अब तो चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को झंडे उठाने वाले 4 साथी भी नहीं मिल रहे। मजबूरी में प्रत्याशी मजदूर बुलाकर झंडे उठवा रहे हैं। मजदूर सुबह से शाम तक नेताजी के साथ घूमते हैं और उनका चायपानी भी फ्री रहता है।
भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों को झंडे उठाने और दरी बिछाने वाले कार्यकर्ता ही नहीं मिल रहे हैं। अब पार्टी के कार्यकर्ता तो सफेद-पोश होकर नेताजी के साथ घूमते हैं और उनके आगे-पीछे रहकर सिर्फ भीड़ बढ़ाते हैं। इंदौर के वार्ड-67 में भाजपा के एक प्रत्याशी को जब झंडे उठाने वाले नहीं मिले तो उन्होंने द्वारकापुरी चौपाल से मजदूर बुलवा लिए। 6 मजदूर को 300-300 रुपए दिए जा रहे हैं और ये मजदूर जनसंपर्क के दौरान नेताजी के आगे-आगे बड़े-बड़े झंडे लेकर उनका परचम फहराने निकल पड़े हैं।
भोपाल में तो कई ऐसे वार्ड हैं जहां कांग्रेस और भाजपा के नेताजी को झंडे उठाने वाले मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। कोलार में तो कांग्रेस के एक प्रत्याशी अपने 10 साथियों के साथ पैदल निकल पड़े और उनके साथ तो झंडे तक नहीं थे।
