टॉयलेट के पानी से बनता ट्रेन का खाना

बिलासपुर। ट्रेनों में परोसा जा रहा भोजन टॉयलेट साफ करने वाले पानी से तैयार हो रहा है। इसका खुलासा रविवार को बिलासपुर रेलवे स्टेशन में हुआ। यहां हरीद्वार-पुरी उत्कल एक्सप्रेस के पेंट्रीकार के कर्मचारियों ने भोजन बनाने के लिए वाशिंग पाइप से पानी लिया। जबकि इस पानी का प्रयोग के केवल टॉयलेट और ट्रेनों की सफाई के लिए किया जाना है।

हरीद्वार-पुरी उत्कल एक्सप्रेस रविवार को साढे चार घंटे विलंब से बिलासपुर स्टेशन पहुंची। ट्रेन के प्लेटफार्म पर पहुंचते ही पेंट्रीकार के कर्मचारी लाइन किनारे लगे पाइप से ड्रम में पानी भरने लेगे। दूसरी ओर मालगाड़ी खड़ी होने की वजह से किसी की उन पर नजर नहीं पड़ी।

कर्मचारी खुले आम यात्रियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस पानी का प्रयोग केवल ट्रेन के टॉयलेट या सफाई के लिए किया जाना है। नियामानुसार पेंट्रीकार के कर्मचारियों को ट्रेन के प्रारंभिक स्टेशन में मिनरल वाटर के बाटल की व्यवस्था करनी होती है। उन्हें स्टेशन से पानी भरने की अनुमति नहीं होती। उत्कल एक्सप्रेस ईस्ट कोस्ट रेलवे की ट्रेन होने के कारण अधिकारी भी इस ओर ज्यादा ध्यान भी नहीं देते।

सीसीटीवी का कोई डर नहीं
स्टेशन में जगह-जगह सीसीटीवी लगाए गए हैं। इसमेंस्टेशन के होने वाली सभी गतिविधि कैद हो जाती है। पेंट्रीकार के कर्मचारियों को इसका भी डर नहीं है। दूसरी ओर रेलवे स्वच्छता पर 40 प्रतिशत बजट खर्च करने की बात कहता है। वहीं, हकीकत में आज भी पेंट्रीकार चलाने वाले ठेकेदार और कंपनी सस्ते उपायों से ही काम चला रहे हैं।

कर्मचारी ने कहा- पहली बार ऐसा किया
उत्कल एक्सप्रेस के पेंट्रीकार के कर्मचारी अनुराग सिंह ने बताया कि ट्रेन को विलंब होने के कारण पानी की समस्या हुई है। झांसी में उन्होंने व्यवस्था करनी चाही लेकिन संभव नहीं हुआ। इसलिए जिस भी स्टेशन में पानी की व्यवस्था दिखा, वहां से पानी लेते आ रहे हैं। उनका दावा था कि रोजाना 25 लीटर के मिनरल वाटर के दस जरकीन लेकर चलते हैं। उनका कहना था कि पहले बार उसने ऐसा किया है।

निगरानी पर उठ रहे सवाल
स्टेशन में आने वाली सभी ट्रेन की जांच होती है। इसके बाद रजिस्टर में इसे दर्ज किया जाता है। पेंट्रीकार में गंदगी और खाने-पीने के सामान में गड़बड़ी आम बात है। इसके बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। कर्मचारी जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति करते हैं। उत्कल एक्सप्रेस में भी रेलवे के अधिकारियों ने जांच कर रजिस्टर में सबकुछ ठीक दर्ज कर औपचारिकता पूरी कर ली।

पेंट्रीकार में कहां से पानी लिया जा रहा था यह जांच करने के बाद ही पता चल पाएगा।
संतोष कुमार
सीनियर पीआरओ

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