फर्जी सरकारी वेबसाइट चलाने वाला मास्टरमाइंड गिरफ्तार

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आदर्श योजना के नाम से एक फर्जी बेवसाइट बनाकर लोगों को लोन के नाम पर चूना लगाने वाले एक शातिर चालबाज को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उसे हावड़ा (पश्चिम बंगाल) से गिरफ्तार किया है।


आरोपी का नाम सुदीप्त चटर्जी बताया गया हैं आरोपी ने ठगी के धंधे के लिए हावड़ा में किराये पर फ्लैट लेकर कॉल सेंटर जैसा कार्यालय खोल रखा था, जिसमें 17 कर्मचारी काम करते थे। उसने कर्मचारियों को बता रखा था कि सरकारी विभागों का वेबसाइट बनाने व ऋण लेने वालों से उसे डील करने का अनुबंध प्राप्त है।

हावड़ा में कार्यालय पर छापा मारने पर पुलिस को वहां से करीब 1000 लोगों के ऋण लेने वाले आवेदन प्राप्त हुए हैं। पुलिस को शक है कि उनमें करीब 50 लोगों को ऋण दिलाने के बहाने करोड़ों रुपये की ठगी की जा चुकी है। सुदिप्ता चटर्जी (43) ठाकुर राम कृष्णा लेन, हावड़ा-4 , पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। हावड़ा में शरत चटर्जी रोड पर उसने किराये पर मकान लेकर कार्यालय खोला हुआ था।

वहां से पुलिस को 20 मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, 43 अलग-अलग बैंक खातों के चेक, फर्जी प्रोजेक्ट रिपोर्ट व 16 बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों के नाम के रबर स्टांप मिले हैं। शनिवार को सुदिप्ता को हावड़ा से गिरफ्तार कर वहां की अदालत में पेशकर ट्रांजिट रिमांड पर रविवार को दिल्ली ले आया गया। गत वर्ष उसने प्रधानमंत्री आदर्श योजना का वेबसाइट तैयार किया था, जिस पर उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो भी लगा रखी थी। इसके जरिये उसने कई लोगों से ठगी की।

संयुक्त आयुक्त क्राइम ब्रांच रवींद्र यादव के मुताबिक उन्हें सूचना मिल रही थी कि कुछ लोग सरकारी विभागों के फर्जी वेबसाइट तैयार कर ऋण दिलाने का झांसा देते हैं और लाखों रुपये की ठगी कर रहे हैं। उक्त सूचना के बाबत पुलिस टीम ने साइबर सेल की मदद से पाया कि यह धंधा हावड़ा से ऑपरेट हो रहा है। फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने के बाद सुदिप्ता को दबोच लिया गया।

कैसे पहचानें असली है या नकली
सरकारी बेवसाइट्स का असली या नकली होना बड़ी ही आसानी से पहचाना जा सकता है। सरकारी वेबसाइट के लिए यूआरएल आरक्षित श्रेणी के हैं। वो सामान्यत: डॉट एनआईसी डॉट आईएन या डॉट जीओव्ही डॉट आईएन होते हैं।

जबकि नकली वेबसाइट के यूआरएल .nic.in, .gov.in नहीं हो सकते। वो डॉट की जगह डेश का उपयोग करते हैं या इससे मिलता जुलता कुछ और करते हैं। जैसे कि इस मामले में किया गया। पकड़े गए आरोपी की बेवसाइट का यूआरएल pmay-gov.in है। यहां उसने gov.in से पहले डेश का उपयोग किया है, जबकि सरकारी वेबसाइट में डॉट होना चाहिए। 

जरा सी सतर्कता आपको ठगी से बचा सकती है। 


pradhan mantri adarsh yojana

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