अदला बदली: हिन्दी बच्चे मदरसे में, मुसलमान शिशु मंदिर में

परंपरा को तोड़ते हुए 11 हिंदू बच्चों ने रामपुर में एक मदरसा में दाखिला लिया है जबकि 140 मुस्लिम लड़कों ने आरएसएस संचालित स्कूल में प्रवेश पाया है. मदरसे जमीयतुल अनसर के मोहतमिम (प्रधानाध्यापक) के मुताबिक उर्दू भाषा और साहित्य के प्रति यह अभिभावकों का प्यार ही है जिसने उन्हें मदरसा में अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए प्रेरित किया. 

मदरसे के मोहतमिम खालिद अंसारी ने बताया, ‘हिंदू छात्र और उनके माता-पिता समुदाय एवं धर्म से ऊपर उठ कर उर्दू से प्यार करते हैं और मिर्जा गालिब, फिराक गोरखपुरी तथा जिगर मुरादाबादी जैसे शायरों को पसंद करते हैं. साथ ही, परिवार के लोग चाहते हैं कि बच्चे पारंपरिक तहजीब सीखें.’ लंबे समय से मदरसे पारंपरिक इस्लामी धार्मिक शिक्षण से जुड़े रहे हैं.

लेकिन अब उनमें से ज्यादातर मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल हो गए हैं और मुख्यधारा के विषयों की शिक्षा दे रहे हैं. अंसारी ने बताया कि 11 हिंदू लड़कों का मदरसा में दाखिला किया गया है जो अन्य विषयों की पढ़ाई करने के अलावा बड़ी ही रुचि के साथ उर्दू भाषा भी सीखेंगे. 

दोनों समुदायों के छात्रों ने साथ में सुबह की प्रार्थना भी की. इस बीच, करीब 140 मुस्लिम बच्चों का दक्षिण पंथी संगठन आरएसएस संचालित एक स्कूल में नामांकन किया गया है. 

यह स्कूल अपनी हिंदुत्ववादी विचारधारा को लेकर जाना जाता है. संस्थान के प्राचार्य जितेन्द्र सिंह ने बताया, ‘करीब 140 मुस्लिम लड़कों का सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में नामांकन किया गया है.’  

उन्होंने बताया, ‘छात्रों के लिए दिन की शुरुआत सूर्य नमस्कार और वंदेमातरम गाने के अलावा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होती है.’ सिंह ने बताया कि छात्र साथ में दोपहर का भोजन करते हैं. उन्होंने मुस्लिम छात्रों के बारे में बताया कि संस्थान से पढ़कर निकला दानिश मुस्तफा ने सऊदी अरब में इंजीनियरिंग की नौकरी पाई है. साथ ही यह दावा भी किया कि सैकड़ों मुस्लिम छात्रों ने देश में अच्छी नौकरियां पाई हैं. 

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