भोपाल। मिसरोद से बैरागढ़ तक 24 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस के एक तिहाई हिस्से यानी डेडिकेटेड कॉरिडोर में अभी सिर्फ 68 लो-फ्लोर बसें चल रही है और मिक्स्ड लेन में स्कूल-कॉलेजों की 1500 बसें और अन्य लोगों के वाहन रोजाना ट्रैफिक जाम में फंस रहे हैं। यानी डेडिकेटेड कॉरिडोर खाली रहता है और मिक्स्ड लेन में वाहनों की भीड़ रहती है।
यदि कॉरिडोर में स्कूल-कॉलेज बसों को शिफ्ट कर दिया जाए तो बच्चों के स्कूल पहुंचने और आने का समय आधा हो जाएगा। इससे स्कूली बसों की दुर्घटना की आशंका भी कम होगी और हमारी-आपकी गाड़ियों की रफ्तार भी दोगुनी हो जाएगी।
जल्दी घर पहुंच सकेंगे बच्चे
अभी डीपीएस से मिसरोद पहुंचने में स्कूल बस को सवा घंटा लगता है। यदि कॉरिडोर में बस चलाने की अनुमति मिले तो यह दूरी 40 मिनट में तय होगी।
नसीम परवेज, अध्यक्ष, बस आनर्स एसो.
ज्यादा सुरक्षित होगा सफर
डेडिकेटेड कॉरिडोर में बसें चलने से ट्रैफिक जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिलेगी। बच्चों का सफर ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा।
एमके जैन, डीएसपी, ट्रैफिक
चुनाव के कारण अटकी बात
बीआरटीएस के डेडिकेटेड कॉरिडोर में स्कूल-बसों को चलाने में हमें कोई दिक्कत नजर नहीं आई है। इससे लोगों को राहत ही मिलेगी।
अजय कुमार गुप्ता, आरटीओ
ऐसे बढ़ेगी हमारी गाड़ियों की रफ्तार
बीआरटीएस की मिक्स्ड लेन यानी जिसमें हमारी गाड़ियां चलती है, का ट्रैफिक वाल्यूम प्रति घंटे 4500 पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) है। एक यूनिट का मतलब एक कार। यदि व्यस्ततम समय में सिर्फ 150 बसें कॉरिडोर में शिफ्ट होगी तो मिक्स्ड लेन का ट्रैफिक वाल्यूम घटकर 3000 पीसीयू हो जाएगा। एक बस को 8 यूनिट माना जाता है। यानी मिक्स्ड लेन में करीब 30 फीसदी जगह ज्यादा मिलेगी। मिक्स्ड लेन में ट्रैफिक का दबाव कम होगा तो हमारी गाड़ियों की रफ्तार औसतन 20 किलोमीटर से बढ़कर 30 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटे हो जाएगी।
आरटीओ तैयार- क्योंकि, इससे जनता को राहत मिलेगी
पुलिस भी राजी - क्योंकि, एक्सीडेंट की संभावना कम होगी
नगर निगम का इंतजार - नगर निगम का इंतजार।
फायदे होंगे - कॉरीडोर में स्कूल बसें चलें तो
हमारे वाहनों की स्पीड बढ़ेगी, समय भी बचेगा।
स्कूली बच्चे पहले से ज्यादा सुरक्षित रहेंगे।
बच्चों को स्कूल आने-जाने में कम समय लगेगा।
बीआरटीएस में दुर्घटनाएं भी कम होंगी।