भोपाल। राजधानी में पकड़ाए फर्जी मार्कशीट मामले में नया खुलासा हुआ है। इंदौर से ट्रांजिट रिमांड पर लिए गए आरोपी भूपेंद्र मोदी ने सीआईडी को बताया कि वह कुछ यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के संपर्क में भी था। गिरोह कर्मचारियों की मदद से फर्जी मार्कशीट का लेटर वेरिफिकेशन भी करवा लेता था। इस आधार पर कई उम्मीदवार नौकरी पाने में भी सफल हो गए। सीआईडी ने 22 नवंबर को राजधानी में शौकिंदा इलेक्ट्रो की रीजनल मैनेजर संगीता शर्मा को अप्सरा टॉकीज के पास स्थित ऑफिस से गिरफ्तार किया था।
सीआईडी निरीक्षक शैलजा भदौरिया के मुताबिक मोदी के ट्रांजिट रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया गया। भूपेंद्र ने बताया कि कि गिरोह के सदस्य यूनिवर्सिटी के स्टाफ से मिलकर फर्जी मार्कशीट के लिए सीरियल और रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर लेते थे। स्टाफ ही इसका वेरिफिकेशन लेटर बनाकर देता था। सीआईडी ने भूपेंद्र के कब्जे से 60 और फर्जी मार्कशीट बरामद की हैं।
इनकी फर्जी मार्कशीट मिलीं
बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी भोपाल,
आरजीपीवी यूनिवर्सिटी, भोपाल,
सनराइज विवि राजस्थान,
मानव भारती हिमाचल प्रदेश,
मोहाली बोर्ड कर्नाटक,
स्टेट ऑफ ओपन यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़ बोर्ड,
इलम यूनिवर्सिटी, सिक्किम, सीएमजी, मेघालय
समेत अन्य बड़े विश्वविद्यालयों की फर्जी मार्कशीट भी सीआईडी को मिली हैं।
फास्ट ट्रैक केस के लेते थे डेढ़ लाख
सीआईडी के अनुसार आरोपी एक ही उम्मीदवार को कई मार्कशीट भी उपलब्ध करवाते थे। इस व्यवस्था को आरोपी फास्ट ट्रैक केस कहते थे। टीम को कुछ ऐसी भी मार्कशीट मिली हैं, जिन्हें एक ही उम्मीदवार के नाम से जारी किया गया है। इनमें दसवीं, बारहवीं, बीकॉम, एमकॉम की मार्कशीट शामिल हैं। ऐसे उम्मीदवारों से आरोपी डेढ़ लाख रुपए तक वसूल लेते थे।