भोपाल। शिक्षा विभाग ई-अटेंडेंस को ऐच्छिक करने का आदेश जारी कर चुका है, बावजूद इसके शिक्षकों को स्मार्टफोन रजिस्ट्रेशन करवाने के एसएमएस रहे हैं। संकुल प्राचार्यों द्वारा वेतन रोकने तक का दबाव बनाया जा रहा है। एंड्रायड फोन के लिए बाध्य करने वाले दस प्राचार्यों के खिलाफ शिक्षकों ने कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।
इंदौर जिले में जनशिक्षा केंद्रों से शिक्षकों को स्मार्टफोन रजिस्टर्ड करवाने संबंधी चेतावनी भरे मैसेज किए जा रहे हैं। बैठक में शिक्षकों से स्मार्टफोन खरीदने के लिए सहमति-पत्र लिखवाए जा रहे हैं। उन्हें कहा जा रहा है कि लिखकर दो कि एंड्रायड फोन खरीद लोगे, वरना उनका वेतन नहीं निकाला जाएगा। बीते दिनों इंदौर जिले के दस संकुल प्राचार्यों ने अपने अधीन स्कूलों के शिक्षकों को स्मार्टफोन खरीदने के लिए बाध्य किया। संकुल प्राचार्यों के व्यवहार और धमकी से आहत इन शिक्षकों ने विरोध जताया है। अब वे 10 संकुल प्राचार्यों के खिलाफ कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने जा रहे हैं।
डीईओ ने सौंपा जिम्मा
जिलाशिक्षा अधिकारी (डीईओ, इंदौर) किशोर शिंदे ने आदेश जारी कर विकास खंड शिक्षा अधिकारियों और प्राचार्यों को ई-अटेंडेंस की जिम्मेदारी सौंपी है। आदेश में लिखा गया है कि बीईओ ने अपने स्तर पर ई-अटेंडेंस योजना को लेकर उचित कार्रवाई नहीं की है, इसलिए तीन माह बाद भी अधिकांश शिक्षकों ने अपना स्मार्टफोन पंजीयन नहीं करवाया है। पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में भी कहा गया था कि ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू करने में प्राचार्य कोताही नहीं बरतें। शिक्षकों को एसएमएस किए जा रहे हैं कि आपको स्मार्टफोन का पंजीयन कराना ही होगा।
प्राचार्यों के खिलाफ लामबंद
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री हरीश बोयत ने कहा है कि उन्हें संकुल प्राचार्यों द्वारा शिक्षकों को दी गई धमकी की शिकायत मिली है। शिक्षकों से कहा कि अगर स्मार्टफोन खरीदने की तारीख सहित वचन-पत्र नहीं लिखकर दिया तो अधिकारियों के पास आपके नाम भिजवा देंगे। उनका वेतन नहीं निकाला जाएगा। उन्होंने बताया कि शिक्षकों से यहां तक कहा गया है कि निलंबन जैसी कार्रवाई के लिए भी तैयार रहो। इस कारण शिक्षक डरे हुए हैं। अब हम प्राचार्यों के खिलाफ कोर्ट में अवमानना का मामला दर्ज करवाएंगे।