कांग्रेस में कलह: दिग्गजों ने भी किया अरुण यादव से किनारा

भोपाल। कांग्रेस में इन दिनों पीसीसी चीफ अरुण यादव के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं द्वारा अंडे और झंडे दिखाने के बाद अब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भी अरुण यादव से किनारा कर लिया है। टिकिट वितरण के समय अरुण यादव ने किसी की नहीं सुनी, अब कोई अरुण यादव की नहीं सुन रहा।

नगरनिगम चुनावों के दौरान कमलनाथ केवल छिंदवाड़ा में ही प्रचार करेंगे। भोपाल एवं इंदौर के लिए उन्होंने कोई शेड्यूल नहीं दिया है। पीसीसी का प्रचार कार्यक्रम भी उन्होंने स्वीकार नहीं किया। इसके अलावा शेष सभी दिग्गज भी अपने अपने समर्थकों का ही ध्यान रख रहे हैं। सुरेश पचौरी ने भोपाल में कैलाश मिश्रा को टिकिट दिलाया है इसलिए वो केवल भोपाल पर ही फोकस कर रहे हैं।

भोपाल में सिंधिया की जबर्दस्त डिमांड हैं परंतु सिंधिया भी डिस्पोजल स्टार बनना नहीं चाहते। टिकिट वितरण के समय इसी भोपाल सीट पर पीसीसी चीफ ने सिंधिया की बात नहीं मानी थी। अब पीसीसी चीफ चाहते हैं कि भोपाल सीट पर सिंधिया प्रचार करें। इसके लिए सिंधिया तैयार नहीं हैं। पीसीसी चीफ लगातार सिंधिया के पर्सनल आफिस के संपर्क में हैं।

सुरेश पचौरी को भी मालूम है कि शिवराज सिंह चौहान की मिनिस्टर बिग्रेड का सामना केवल सिंधिया ही कर सकते हैं। इसलिए वो भी चाहते हैं कि सिंधिया भोपाल में कांग्रेस के लिए काम करें, लेकिन सवाल यह उठता है कि टिकिट वितरण में सिंधिया को टंगड़ी अड़ाने के बाद सुरेश पचौरी किस मुंह से कहें कि जीत के लिए सिंधिया जरूरी है।

मजेदार बात तो यह है कि वहां भाजपा में सीएम ने सभी मंत्रियों की ड्यूटी चुनाव प्रचार में लगा दी है और यहां कांग्रेस में अभी तक विधायकों तक को प्रचार के लिए राजी नहीं किया जा सका। वैसे भी कांग्रेसी विधायक दिल्ली में विधानसभा चुनाव का काम देख रहे हैं, लेकिन अरुण यादव चाहते हैं कि वो भोपाल एवं इंदौर में भी शिवराज के मंत्रियों से मुकाबला करें।

अंतत: सवाल यह उठ रहा है कि जब अरुण यादव सबको साथ लेकर नहीं चले तो बाकी सब अरुण यादव को साथ लेकर क्यों चलें। टिकिट वितरण के समय जब मप्र कांग्रेस कमेटी को अरुण यादव एंड ब्रदर्स बना दिया गया था तो प्रचार के वक्त उसे वापस कांग्रेस क्यों मान लिया जाए।

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