लोनफ्रॉड करने वाले SBI बैंक मैनेजर के पूरे परिवार को 3 साल की जेल

shailendra gupta
भोपाल। परिवार के सदस्यों के नाम से बोगस फर्म बनाकर नियम विरुद्ध तरीके से तीन करोड़ रुपए के लोन दिलाने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई)की चांदबड़ ब्रांच के तत्कालीन मैनेजर भरत सिंह यादव सहित उनके पिता, बेटे और बहू को सीबीआई कोर्ट ने तीन-तीन साल की जेल और कुल साढ़े चार लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। सोमवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार श्रीवास्तव ने यह फैसला सुनाया।

सीबीआई से मिली जानकारी के मुताबिक सितंबर 2006 से जनवरी 2008 के बीच भरत सिंह यादव एसबीआई की चांदबड़ शाखा में ब्रांच मैनेजर थे। इसी दौरान उसने अपने पिता विश्वनाथ सिंह, बेटे उदय प्रताप और बहू मनु की कंपनियों को मनमाने ढंग से दो करोड़ 98 लाख 18 हजार रुपए के लोन दे दिए थे। सीबीआई ने मामले की शिकायत मिलने पर जांच की।

इसमें पता चला कि विश्वनाथ सिंह, उदय प्रताप सिंह और मनु के नाम से तीन कंपनियां,  मेसर्स वैष्णव इंडस्ट्रीज, मेसर्स प्रोसालवे कंपनी और मेसर्स अमित इंटरप्राइजेज रजिस्टर्ड कराई गई थीं। इसके बाद ब्रांच मैनेजर की मिलीभगत से कंपनियों को  लोन और ओवर लिमिट दे दी गई।

सीबीआई ने सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज कर जांच के बाद चालान पेश किया था। अदालत  ने इस मामले में भरत सिंह यादव पर डेढ़ लाख और बाकियों पर एक-एक लाख का जुर्माना किया है।

विदेश में बेटे के अकाउंट में भेजे रुपए
6 सितंबर 2006 से 18 जनवरी 2008 तक बैंक मैनेजर रहते हुए यादव ने कई गड़बड़ियां की। उन्होंने एक काल्पनिक व्यक्ति केकेएस यादव के नाम का अकाउंट खोलकर उस पर 60 हजार रुपए का टर्म लोन स्वीकृत कर दिया। यह रुपए उन्होंने उस समय विदेश में पढ़ रहे अपने बेटे अभिषेक के अकाउंट में भेजे। सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया है कि इस लोन के लिए कोई अावेदन भी नहीं था।

यादव पॉवर ऑफ अटार्नी लेकर खुद करते थे अकाउंट से ट्रांजेक्शन
परिवार के सदस्यों के नाम बनी फर्म के अकाउंट से ब्रांच मैनेजर यादव खुद ट्रांजेक्शन करते थे। इसके लिए उन्होंने पॉवर ऑफ अटार्नी ले रखी थी। वहीं, बहू के नाम से एक फर्म वैष्णव इंटरप्राइजेज बनाई थी। इसकी कैश क्रेडिट 50 लाख रुपए की थी, लेकिन इसके अकाउंट में एक करोड़ 42 लाख रुपए भेज दिए गए थे। ऐसी ही कई गड़बड़ियां यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान की थी।

ड्राइवर के नाम पर भी खोल रखी थी फर्म
सीबीआई कोर्ट के आदेश में यह भी उल्लेख है कि यादव ने पत्नी, पिता और बहू के अलावा अपने ड्राइवर छगनलाल को भी विभिन्न फर्म में भागीदार बताया था। खास बात यह है कि  जिन स्थानों पर फर्म के पते बताए गए हैं, वहां उस नाम की कोई फर्म नहीं है। सीबीआई ने कोर्ट में पेश चार्जशीट में इसका उल्लेख किया था।

रिटायरमेंट के बाद भी बैंक में कार्यरत थे
सीबीआई ने चार्जशीट में इस बात का भी उल्लेख किया था कि 31 जुलाई 2008 को यादव बैंक से रिटायर हो चुके थे, लेकिन अपने वित्तीय हितों के लिए इसके बाद भी वे बैंक में कार्यरत थे। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने इस संबंध में कोई भी जानकारी होने से इंकार किया है।

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!