खंडवा। मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन की चचेरी बहन उज्जैन के एक आश्रम में रहने को मजबूर है। मुंबई के घर से उसे निकाल दिया गया था। दूर के एक रिश्तेदार ने कुछ समय बुरहानपुर जिले के नेपानगर में अपने घर रखा और अब यह बहन उज्जैन के आश्रम में रह रही है।
वह आश्रम संचालकों को बार-बार मुंबई जाने और भाई से मिलने की जिद भी करती है। तबले पर अपनी थाप से दुनिया में धाक जमाने वाले भाई जाकिर हुसैन को बहन से कोई सरोकार नजर नहीं आता। यही वजह है कि सैकड़ों मेल करने के बाद भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
सादिक अली की बेटी
अल्लारखा खान के छोटे भाई सादिक अली की बेटी मीना है। सादिक अली म्यूजिशियन थे और उनकी पत्नी शकुंतला रेडियो सिंगर थीं। 2000 में अल्लारखा, 2001 में सादिक और 2006 में शकुंतला की मौत के बाद मीना अकेली हो गई। वह माहिम (मुंबई) के जिस मकान में रहती थी, वहां से उसे निकाल दिया गया। वह करीब 2 साल विरार के एक होस्टल में रही।
इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ी तो वहां से निकाल दिया गया। मार्च 2014 में नेपानगर में रहने वाले दूर के रिश्तेदार अरविंद बोरकर उसे अपने साथ ले आए। यहां दोस्त महेश फ्रांसिस के घर पर लगभग दो महीने मीना को रखा और इसके बाद मई-जून में उज्जैन के आश्रम में छोड़ दिया।
गंभीर बीमारियां
मीना को बोर्न टीबी सहित कुछ अन्य गंभीर बीमारियां हैं। महज 40 साल की उम्र में मीना मौत के मुहाने तक पहुंच गई है। मीना जिस आश्रम में रह रही है, वहां अधिकांश मानसिक रोगी हैं। ऐसे में उसे यहां रहने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
तबीयत अब ठीक
उज्जैन के आश्रम में मीना की देखभाल करने वाली वार्ड इंचार्ज सिस्टर एथेन ने बताया कि अब उसकी तबीयत ठीक है। वह थोड़ा चल पाती है। अभी उसका छह माह इलाज करवाना पड़ेगा। वह बार-बार अपने भाई से मिलने की इच्छा प्रगट करती है, लेकिन अब तक उससे मिलने कोई नहीं आया।
कई मेल किए, नहीं आया जवाब
नेपानगर के अरविंद बोरकर ने बताया जाकिर हुसैन को कई बार मेल कर बहन की स्थिति से अवगत कराया लेकिन कभी कोई जवाब नहीं आया। मीना को नेपानगर से उज्जैन आश्रम में छोड़ने वाले महेश फ्रांसिस ने बताया कि एक बार जाकिर हुसैन के सहायक का फोन आया था, लेकिन उसने भी कह दिया अभी सर के पास टाइम नहीं है।
भाई तक पहुंचे मेरे दिल की बात
मीना ने कहा मेरी एक ही इच्छा है कि मेरे दिल की बात एक बार मेरे भाई जाकिर तक पहुंच जाए। मेरा मकान छिन गया। कुछ पैसा था जो मां और पिताजी के इलाज पर खर्च हो गया था। मेरा एक घर हो और अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊं, यह भी इच्छा है।