भोपाल। सरकारें चाहे कितने भी दावे कर लें, ग्वालियर/चम्बल संभाग को डाकू समस्या से मुक्त नहीं कराया जा सकता। इन दिनों शिवपुरी इलाके में एक नए डाकू गिरोह की दहशत दौड़ रही है। इस गिरोह में 7 सदस्य हैं। सभी स्पोर्ट्स शूज, जींस और जैकेट में है और खानेपीने का सामान भी है। सभी के पास देसी हथियार हैं। यह एक नया गिरोह है जिसने एक टेलीकॉम कंपनी के मैनेजर का अपहरण कर लिया है।
डाकुओं ने मैनेजर का मुक्त करने के बदले में 50 लाख की फिरौती मांगी है। डाकुओं द्वारा मैसेंजर बनाकर मुक्त किए गए मजदूर तुलसी आदिवासी ने बताया कि वह और मैनेजर जब साइट पर काम कर रहे थे इसी दौरान तेज बारिश शुरू हो गई बचने के लिए उन्होंने एक पेड़ के नीचे तिरपाल तान ली पानी बंद हुआ तो वह रेलवे ट्रेक पर आ गए इसी दौरान अचानक खेत से सात हथियारबंद बदमाश वहां आ गए।
तुलसी के अनुसार बदमाशों ने घटनास्थल पर सबसे पहले उनकी पहचान पूछी थी जिस पर तुलसी ने स्वयं को आदिवासी मजदूर तथा मैनेजर को साहब कहकर संबोधित किया मैनेजर ने खुद को बचाने के प्रयास में आदिवासी बताया, लेकिन बदमाशों ने उसका पहनावा और हुलिया देख कर उससे कहा कि तू सोने की चेन और अंगूठी पहने है तू तो कहीं से भी आदिवासी नहीं लग रहा है।
वारदात वाले दिन डकैतों ने अपहरण दोपहर 1 बजे कर लिया था और सबसे पहले डकैतों ने इनके मोबाईल छुडा लिए और सिम तोडकर फैंक दी जिससे पुलिस को इनकी लोकेशन ना मिल पाए।
शुरूवात में हमने डकैतो का विरोध किया तो डकैतो ने हमे जमकर मारा-पीटा। अपहरण वाले दिन डकैत हमे ब्लूखो के फाटक से होते हुए बम्हारी के जंगलो में ले गए। डकैतो के पास खाने पीने को समान और बर्तन भी है, डकैतो ने हमे खाने में बिस्कुट दिए और घी भी पिलाया।
सभी सातों डकैतो ने स्र्पोर्ट जूते और जिंस व जैकेट पहनी है। मुरैना और भिंड की बोली बोल रहे है, 6 डकैतों पर 315 बोर की बंदूकें है और एक पर हॉकी है, वे आपस में कम ही बात करते है और करनी हो तो हमे दूर कर देते थे, सभी ने मुह को ढक रखा है और आपस में नाम भी नही लेते है।