राकेश दुबे@प्रतिदिन। मेक इन इंडिया की तरफ मोदी सरकार जोरशोर से आगे बढ़ रही है और इस बारे में प्रधानंत्री जनवरी 2015 के पहले हफ्ते में बैंकों के साथ मुलाकात करने वाले हैं। मेक इन इंडिया कार्यक्रम कोसफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 एम का मन्त्र दिया। ये पांच एम हैं मैनपावर, मनी, मटीरियल, मशीन और मिनरल्स। साथ ही उन्होंने मेक इन इंडिया की एबीसीडी का मतलब भी बताया।
मेक इन इंडिया का 5 एम का अधिकतम मूवमेंट जरुरी है और मैन, मटेरियल, मनी, मशीन, मिनरल्स की स्टेनेंसी नहीं होनी चाहिए। 5 एम का मूवमेंट कैसे बढ़े इस पर सबको सोचना है। छोटे रास्तों को छोड़कर, कंफ्यूजन और देरी को छोड़ना है। रेस्पॉन्सिबिलिटी, ऑनरशिप, अकाउंटेबिलिटी, डिसिप्लिन पर जाना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेक इन इंडिया से आगे ब्रांड इंडिया तक जाना है। ब्रांड इंडिया के लिए जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट की रणनीति पर काम करना है।
सैद्धांतिक रूप से नरेंद्र मोदी का सोच अपनी जगह पर ठीक हो सकता है पर व्यवहारिक रूप से इसे धरातल पर उतारने के लिए उद्ध्योग जगत और सरकारी मशीनरी के बीच एक सम्बन्ध “रिलेशन आर” के बगैर कोई भी काम संभव नहीं है ऐसी राय उद्ध्योग जगत की है| जमीन लायसेंस फ़ीस और कर का निर्धारण तो सरकार कर देती है पर इन सब में लगनेवाली श्रम शक्ति की दरें अत्यंत कम है| श्रमिक संघ मेक इन इण्डिया में पूरी भागीदारी के पहले सरकार से काम के दाम और श्रम के सम्मान की रक्षा चाहते हैं| मोदी का इसके लिए कोई मन्त्र नहीं है|
कॉरपोरेट्स के मुताबिक मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए सरकार को और कदम उठाने की जरूरत है। सरकार के इन कदमों से भारत में कारोबार को आसान बनाना होगा। भारत में श्रम की ताकत का उपयोग करना होगा और आरएंडडी पर भी जोर देना होगा।
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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