अब 50% वालों को भी मिल जाएगा Med में एडमिशन

shailendra gupta
भोपाल। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है, जिसके तहत अब पचास फीसदी अंक वाले छात्र भी एमएड (मास्टर इन एजुकेशन) में एडमिशन ले सकेंगे। अब तक पचपन फीसदी अंक आने पर ही इसमें एडमिशन मिलता था। इसके साथ ही पुराने कॉलेजों को 50 सीटों का इंटेक बढ़ाने के लिए 12 लाख रुपए की एफडी जमा करना होगी। अभी तक कोई भी कोर्स शुरू करने के लिए पांच और तीन लाख रुपए की एफडी देना होती थी।

इंटेक बढ़ाने कॉलेजों को 15 दिनों में एक शपथ पत्र देना होगा। शपत्र पत्र के बाद एनसीटीई कॉलेजों को पचास सीटें आवंटित कर देगा, जिसका फायदा उन्हें सत्र 2015-16 की काउंसलिंग में मिलेगा। कॉलेजों को 31 अक्टूबर 2015 तक एफडी के साथ मापदंड के मुताबिक जमीन, भवन और फैकल्टी नए नियमों के मुताबिक रखना होगी। इसका निरीक्षण एनसीटीई कराएगी। अगले साल से एमएड और बीपीएड के दो साल के पाठ्यक्रम में प्रवेश दिए जाएंगे।

एनसीटीई तीन साल का पार्ट टाइम बीएड और तीन वर्षीय बीएडएमएड की डिग्री शुरू कर रहा है। एनसीटीई ने बीएड दो साल का कर दिया है। वहीं फैकल्टी की संख्या सात से बढ़ाकर 16 कर दी गई है। पुराने कालेजों को पचास के हिसाब से सीटें मिलेगी। बीएड कालेज में प्राचार्य बनने के लिए एमएड के साथ किसी भी विषय में पीएचडी होना जरूरी होगा। उनके अनुभव में कटौती की गई है। पूर्व में दस साल अनुभव मांगा जाता था, लेकिन अब आठ साल के अनुभव वाले प्रोफेसर भी प्राचार्य बन पाएंगे। नई गाइड लाइन के मुताबिक एमएड अब दो साल में पूरा होगा। कॉलेजों को अब 35 के स्थान पर पचास का इंटेक मिलेगा। वहीं पाठ्यक्रम की समय अवधि बढ़ने से एनसीटीई ने पांच की फैकल्टी को दस में कर दिया है। इसमें दो प्रोफेसर, दो रीडर और छह लेक्चरर का नेट क्वालीफाई होना अनिवार्य होगा।

दो साल का होगा बीपीएड
बैचलर आफ फिजिकल एजुकेशन (बीपीएड) को भी दो साल का कर दिया गया है। इसमें कालेजों को पचास के स्थान पर 100 का इंटेक दिया जाएगा। इसमें भी पांच के स्थान पर आठ का शैक्षणिक स्टाफ रखा जाएगा।

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