भोपाल। भोपाल इन्दौर के बीच चलने वाली डबल डेकर जिसका सबको इंतजार था, फैल हो गई है। वो लावारिसों की तरह पटरी पर दौड़ रही है, उसका खयाल रखने वाला कोई नहीं। इसका मुख्य कारण है इस ट्रेन का संचालन दो अलग अलग आफिसों के हाथ में होना। मेंटेनेंस भोपाल करता है तो टिकिटिंग इन्दौर।
ट्रेन के मेंटेनेंस का काम भोपाल मंडल के पास है और ट्रेन चलाने से लेकर उसमें टिकट चेकिंग का स्टाफ इंदौर का है। इसमें यात्रियों की असुविधा के मुद्दे पर दोनों जोन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देते हैं। रेलवे के इस उदासीन और लापरवाहीपूर्ण रवैए का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
कई खामियों आईं सामने
भोपाल पहुंचे यात्रियों ने इस ट्रेन में कई खामियां गिनाईं। इंदौर-उज्जैन में यात्रियों को सी-5 कोच नहीं होने के बावजूद उसके टिकट बांट दिए, इसके कारण यात्री कोच ही खोजते रहे। सी-3 कोच का एसी भी बंद हो गया तो यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट किया गया। कोच में धूल और मच्छरों ने यात्रियों को रास्ते भर हालाकान कर दिया। पैसेंजर सीट के पीछे जाले लगने से कोच की सफाई व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग गया है।
यह भी है एक कारण
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इस ट्रेन के लिए अधिकारियों का शुरुआत से ही उदासीन रवैया रहा है। इससे प्रतीत होता है कि वरिष्ठ अधिकारी इस ट्रेन को चलाने के इच्छुक नहीं हैं। यही कारण है कि 395 रुपए किराया चुकाने के बाद भी यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उनकी शिकायत पर सुनवाई तक नहीं होती।