गांव बसा नहीं और चल पढ़ी बंटवारे की बयार: कैसी होगी मोदी सरकार

shailendra gupta
भोपाल। एक कहावत है 'गांव बसा नहीं, बंटवारा पहले शुरू हो गया' मध्यप्रदेश की भाजपा में इन दिनों यही हो रहा है। अभी चुनाव परिणाम नहीं आए हैं, लेकिन भाजपाई दिग्गजों ने नमो मंत्रीमंडल में जगह बनाने के लिए जुगत लगाना शुरू कर दिया है।

स्थिति यह है कि प्रदेश में केन्द्रीय मंत्री बनने का सपना देखने वाले आधा दर्जन से अधिक नेता हैं। इतना ही नहीं किनारे कर दिए गए बुजुर्ग नेताओं की भी राज्यपाल व अन्य पदों पर नवाजे जाने की उम्मीद है। बस फर्क इतना है, यह नेता सार्वजनिक रूप से नहीं कह पा रहे हैं लेकिन ऑफ द रिकार्ड मानते हैं कि मोदी सरकार बनी तो उनकी लाटरी लगना तय है।

मप्र से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का मंत्री बनना तो तय है। श्रीमती स्वराज मप्र से चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन वे राष्ट्रीय नेतृत्व के कोटेे से मंत्री बनेंगी। मप्र के कोटे से सुमित्रा महाजन, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल फग्गनसिंह कुलस्ते और दिलीप सिंह भूरिया की दावेदारी मजबूत है।

इन्दौर से आठवीं मर्तबा चुनाव लड़ रही श्रीमती महाजन यह चुनाव जीतती हैं तो वे प्रदेश में सबसे वरिष्ठ सांसद होंगी। वे पिछले मंत्रीमण्डल में भी थीं। ग्वालियर से चुनाव मैदान में तोमर को मप्र में भाजपा की सरकार बनवाने के ईनाम बतौर मंत्री पद मिल सकता है। आदिवासी कोटे से चुनाव जीते तो मंडला से श्री कुलस्ते और झाबुआ से दिलीप सिंह भूरिया का दावा मजबूत होगा। इसमें भूरिया झाबुआ फतह करते हैं तो कांग्रेस के अजेय दुर्ग को भेदने का इनाम में उनको फायदा मिल सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती समर्थक प्रहलाद पटेल भी इस बार भी मंत्री पद हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे। मोदी लहर में किनारे कर दिए गए कई बुजुर्ग नेताओं को भी अपनी सरकार बनने का फायदा मिलने की उम्मीद है। इसमें दो पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और सुन्दरलाल पटवा का नाम सबसे ऊपर है इनके अलावा लक्ष्मीनारायण पाण्डे भी केन्द्रीय नेतृत्व से संपर्कों का लाभ लेने में सफल हो सकते हैं।

इस अनिश्चित दौड़ में कई चौंकाने वाले नाम भी सामने आ सकते हैं, जो चुनाव के दौरान मोदी या केन्द्रीय नेतृत्व की कृपा का सहारा लेकर अपनी नाव किनारे लगाने में कामयाब होंगे। मप्र राज्यसभा सांसदों की भी दावेदारी मप्र से भाजपा के तीन राज्यसभा सांसद भी केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में स्थान बनाने के लिए जोड़तोड़ कर रहे हैं। इनमें एनडीए सरकार में मंत्री रहे सत्यनारायण जटिया का दावा सबसे मजबूत है। इसके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अनुसूचित जाति वर्ग के थावरचंद गेहलोत की दावेदारी भी दमदार होगी।

उनका दावा केन्द्रीय नेतृत्व से निकटता के कारण मजबूत माना जा रहा है। वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री विक्रम वर्मा भी दिल्ली में अपनी पैठ की दम पर मंत्रिमण्डल में स्थान पा सकते हैं। हर सरकार में तीन से ज्यादा मंत्री, भाजपा शासित राज्यों में मप्र लोकसभा सीटों के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य है। यहां 29 सीटें हैं वहीं गुजरात और राजस्थान में 25 और 26 सीटें हैं। इस कारण केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में मप्र की दावेदारी ज्यादा मजबूत रहती है।

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