मध्यप्रदेश में माफियाराज: रेत माफियाओं ने खुद ही आपस में बांट लीं रेत खदानें

अरूण यादव/भोपाल। रेत से मिलने वाली रायल्टी भी मप्र सरकार की सालाना आय का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है, लेकिन जब से प्रदेश में भाजपा राज आया है, सरकार ने रेत खदानों से रेत निकालने की अपने चहेते माफियाओं को खुली छूट दे दी है।

नतीजन पूरे प्रदेश में ये माफिया हर साल अवैध रूप से अरबों की रेत निकालकर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं और सरकार है कि अपने कामकाज को चलाने के लिए लगातार बाहर से कर्ज ले रही है।

अब तो राज्य सरकार की प्रशासनिक कमजोरियों का यह आलम है कि रेत के उत्खनन के लिए ये माफिया, सरकार की रत्ती भर परवाह नहीं कर रहे हैं और खुद ही तय कर लेते हैं कि किस खदान का दोहन कौन माफिया करेगा। जहां इस बारे में फैसला नहीं हो पाता, वहां अब खूनी संघर्ष की नौबत भी आने लगी है। आज भिण्ड जिले में रेत के अवैध उत्खनन के कारोबार पर कब्जे को लेकर दो रेत माफियाओं में जमकर गोलीबारी हुई।

बताया गया है कि इस खूनी संघर्ष में 50 राउण्ड गोलिंया दोनों पक्षों की ओर से चली हैं। आश्चर्य है कि रेत तो सरकारी है, और उस पर माफिया इस तरह अपना हक जता रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश की खनिज संपदा को पूरी तरह माफियाओं के हवाले कर दिया है।

शिवराजसिंह का प्रशासन तंत्र कभी-कभार दिखावे के लिए कुछ रेत के ट्रक पकड़ता है और यह प्रचारित करता है कि अवैध रेत उत्खनन को रोकने के प्रति वह सचेत और सक्रिय है परन्तु हाल ही के दिनों में रेत के अवैध उत्खनन से संबंधित जो मामले सामने आये हैं, वे साबित करते हैं कि सरकार ने विधान सभा चुनाव के बाद तो रेत खदानें माफियाओं को सौंप दी हैं और वे हजारों जेसीबी और फाकलेन मशीनों से रात दिन अवैध रेत उत्खनन में लगे हुए हैं। इससे प्रदेश की कई नदियों के प्राकृतिक स्वरूप को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। कहीं-कहीं तो नदी का बहाव बदल जाने की स्थिति भी बन रही है।

रेत के मामले में शिवराज की सरकार किस कदर मौन साधे बैठी है, उसका प्रमाण यह है कि पहले रेत के ठेके तीन साल के लिए दिये जाते थे, किंतु सरकार ने रेत माफियाओं के दबाव में आकर अब 10 साल के लिये रेत खदानें आवंटित की जाने लगी हैं। स्पष्ट है कि इस नई व्यवस्था के कारण सरकार के खजाने को हर साल करोड़ों की हानि होगी। दूसरी तरफ रेत माफियाओं के सामने प्रशासन को निरीह बनाकर रख दिया गया है।

पिछले महीने नर्मदा किनारे शाहगंज के पास बिसाखेड़ी गांव में अवैध उत्खनन करने वाले माफिया को अधिकारियों ने ललकारा तो माफिया ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया था। मुरैना, सीहोर आदि कुछ जिलों में तो आये दिन माफियाओं द्वारा अधिकारियों पर ऐसे हमले हो रहे हैं, लेकिन उनका कुछ भी नहीं बिगड़ रहा। दरअसल अवैध रेत उत्खनन में सत्तारूढ़ भाजपा के रसूखदार लोग लगे हुए हैं। हाल ही में विदिशा जिले की गुजरी बैस नदी से एक भाजपा नेता ने 10 हजार ट्राली रेत निकालकर तीन करोड़ की काली कमाई कर ली है। इस प्रकार के काले कारोबार के द्वारा हजारों भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं।


लेखक श्री अरुण यादव मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री हैं।

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