आदिवासी वर्ग में नहीं लोकसभा चुनाव का उत्साह, दो जून रोटी की फिक्र

नूरुल हसन नूर/गुना। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को अपने तीन दिवसीय दौरे के बीच जिले के बमौरी विकासखंड में ओलावृष्टि से प्रभावित गांवों का सघन दौरा किया और पीडि़त किसानों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए भरोसा दिलाया कि किसानों को हर संभव सहायता दिलाने का प्रयास करेंगे।

केन्द्रीय मंत्री शनिवार को अपने दौरे के बीच राजसी ठाट बाट छोड़कर किसानों के साथ खेत में बैठकर भोजन करते हुए नजर आए। सिंधिया परिवार का कोई व्यक्ति पहली बार इस तरह खेत में बैठ कर भोजन करता देखा गया है। बमोरी क्षेत्र में ओलावृष्टि से फसलों की सर्वाधिक हानि हुई है तथा यहां का आदिवासी वर्ग न तो राजनीति से प्रभावित हो रहा है और न ही उसको इस बात की चिंता है कि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। इस वक्त उसे फिक्र सिर्फ दो जून पेट भरने की है।

केन्द्र तथा प्रदेश सरकारें इस हानि के सर्वे में जुटी हुई हैं लेकिन सवाल आज पेट भरने का है। हालांकि सिंधिया अपने चुनावी दौरे में पिछले दिनों फांसी पर लटके आदिवासी किसान विशन भील के यहां पहुंचे और उसके परिवार को सांत्वना दी लेकिन क्षेत्र का लगभग समूचा भील भिलाला आदिवासी वर्ग इस आपदा की चपेट में है और मोहताज होकर मदद की आस लगा रहा है। आचार संहिता के चलते राजनीतिक लोग सीधे कोई सहायता करने में अक्षम हैं। फिलहाल सारी उम्मीद प्रशासन से ही है, प्रशासन में कितनी मानवीय संवेदनाएं है ये अभी परखने का समय है।

जरूरत आज, कूपन वितरित होंगे होली बाद

आदिवासी समाज आने वाली फसल के भरोसे पर क्षेत्र के महाजनों से या किराने वालों से उधार अनाज हासिल कर पेट भरते हैं। सरकारी सर्वे उन्हें तत्काल पेट की आग बुझाने के लिये कोई राहत नहीं दे पा रहा है। उल्टा सर्वे रिपोर्ट में कोई अधिकारी ये टीप लगा देता है कि जो फसल बरबाद हुई है वो एक माह बाद आने वाली थी तो अभी भूखा मरने का क्या सवाल है। उधर क्षेत्रीय कंट्रोलों में भी अनाज बंटना आरंभ नहीं हुआ है क्योंकि पंचायत सचिव ने होली बाद कूपन वितरित करने की बात आदिवासियों से कही है। जबकि उन्हें पेट की भूख शांत करने की आवश्यकता तत्काल है।

पटवारी नहीं कर रहे वनभूमि पट्टों का सर्वे

उधर पटवारी वनभूमि के पट्टाधारी आदिवासियों का सर्वे करने से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये भूमि राजस्व की नहीं है इसलिये सर्वे नहीं हो सकता है। जब उन्हें आला अधिकारियों के निर्देशों की दलील दी गई तो जवाब में वन विभाग के अधिकारियों के साथ जाने की शर्त लगा दी। वन विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने साथ जाने की सहमति व्यक्त की। लेकिन वो कब जाएंगे यह भगवान मालिक है।

पहलवान ग्वालियर के, अखाड़ा गुना का

बमौरी के दो दर्जन से अधिक ओलावृष्टि से पीडि़त गांवों का दौरा करने के बाद सिंधिया ने  कुछ खेतों में पहुंचकर बरबाद हुई तमाम फसलों का अवलोकन किया और इस बीच कुशैपुर गांव में पार्टी कार्यकर्ताओं और किसानों के साथ बैठकर दोपहर का भोजन भी लिया। वे शुक्रवार को बजरंगगढ़ रोड पर चाय की गुमठी पर चाय की चुस्कियां लेकर चर्चा का विषय बन चुके हैं। उनके बदले हुए अंदाज, मिजाज से भाजपा के स्थानीय नेता भी आश्चर्यचकित हैं। फिलहाल तो गुना-शिवपुरी संसदीय सीट पर कांग्रेस से ज्योतिरादित्य के अलावा भाजपा से जयभान सिंह पवैया और आप से शैलेंन्द्र कुशवाह सहित अभी तक सभी राजनैतिक दलों के लिये ग्वालियर के प्रत्याशी ही मुकाबले में खड़े नजर आ रहे हैं। अर्थात ग्वालियर के पहलवान गुना के अखाड़े में जोर आजमा रहे हैं।

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