मानक अग्रवाल/भोपाल। घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन योजनाओं का अपने भाषणों में और सरकारी विज्ञापनों में बढ़-चढ़कर बखान करते हैं और बताते हैं कि उन्होंने नई योजना लागू करके जनहित में बड़ा तीर मारा है,
लेकिन उनकी कथित आदर्श और जनहितैषी योजनाओं का जमीनी स्तर पर जो हश्र हो रहा है, वह लोगों को बड़ी पीड़ा दे रहा है और वे महसूस कर रहे हैं कि शिवराजसिंह की बहुप्रचारित योजनाएं भोपाल से गांव-खेड़े तक पहुंचते-पहुंचते भाजपा पोषित भ्रष्टाचारियों के चंगुल में इतनी बुरी तरह फंस जाती हैं कि वे प्रदूषित रूप में ही हितग्राही लोगों तक पहुंच पाती हैं।
लेकिन उनकी कथित आदर्श और जनहितैषी योजनाओं का जमीनी स्तर पर जो हश्र हो रहा है, वह लोगों को बड़ी पीड़ा दे रहा है और वे महसूस कर रहे हैं कि शिवराजसिंह की बहुप्रचारित योजनाएं भोपाल से गांव-खेड़े तक पहुंचते-पहुंचते भाजपा पोषित भ्रष्टाचारियों के चंगुल में इतनी बुरी तरह फंस जाती हैं कि वे प्रदूषित रूप में ही हितग्राही लोगों तक पहुंच पाती हैं।
पिछले दिनों बड़े धूम-धड़ाके के साथ मुख्यमंत्री ने गरीबों को एक रूपये किलो आयोडीनयुक्त सरकारी नमक बांटने की योजना लागू की थी, किंतु अब जिलों से जो रिपोर्ट मिल रही है, उनसे जाहिर है कि हितग्राहियों को सफेद रेतीला कंकड-पत्थर मिला नमक बांटा जा रहा है, जिसकी आयोडीनयुक्तता भी संदेहास्पद है।
मुख्यमंत्री एवं उनकी सरकार दरअसल गरीबों के साथ ऐसी लोक लुभावनी योजनाओं के नाम पर खुले आम धोखाधड़ी कर रही है। यह कंकड-पत्थर मिला नमक उचित मूल्य की दुकानों से बांटा जा रहा है और प्रदेश की 23 हजार उचित मूल्य की दुकानों में से फिलहाल अधिकांश दुकानें भाजपा के नेताओं और रसूखदार कार्यकर्ताओं के कब्जे में हैं।
भाजपा के लोग संबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को डरा-धमकाकर नमक वितरण में प्रदेशव्यापी गोलमाल कर रहे हैं। इससे गरीब हितग्राहियों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है, क्योंकि अंदरूनी ग्रामीण इलाकों में तो गरीब लोग इसी प्रदूषित नमक का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि इस एक रूपये किलो के कथित सस्ते नमक से तो वह नमक अच्छा था, जो पहले कुछ महंगा मिल रहा था।
पहले तो उचित मूल्य की दुकानों से मिलावटी गेहूं-चावल बांटने की शिकायतें ही सुनने को मिला करती थीं, किंतु अब तो भाजपा के भ्रष्टचारियों ने सस्ते नमक को भी अपने कब्जे में फंसा लिया है। लोगों की शिकायत है कि कथित आयोडीनयुक्त सरकारी नमक में कंकड-पत्थर की मिलावट ‘‘अपवाद रूप में’’ नहीं, बल्कि ‘‘आम रूप में’’ हो रही है।
आयोडीन युक्त मानक नमक तो उचित मूल्यों की दुकानों पर पहुंचने के पूर्व ही भाजपाई व्यापारियों की प्रायवेट दुकानों पर पहुंच जाता है, जिसको ऊंचे दाम पर बेचकर वे मनमानी कमाई कर रहे हैं।
लेखक श्री मानक अग्रवाल मध्यप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं।