राकेश दुबे@प्रतिदिन। वाराणसी लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार, भारतीय जनता पार्टी का प्रधानमंत्री पद का दावेदार, गुजरात के मुख्यमंत्री के अलावा अन्य कई विशेषण जिस एक व्यक्ति पर चस्पा है| उसका नाम सब जानते हैं- नरेंद्र मोदी है | बस, एक बिहार के लालू नहीं जानते |
भारतीय राजनीति में यह एक अनूठा प्रयोग है की, एक व्यक्ति अपने ही नहीं अन्य दलों में भी चर्चा, विवाद, और जलन का विषय बन गया है |
अब भाजपा मोदीमय है| भाजपा और संघ को इस नई भाजपा से बहुत अपेक्षा है | मोदी की भाजपा को सचमुच चमत्कार करके दिखाना पड़ेगा। भाजपा को कम से कम २८ से ३० प्रतिशत वोट और २०० से ज्यादा सीटें लानी होंगी। लेकिन,इतिहास इसका साथ नहीं देता। जनसंघ को १९६७ के चुनावों में पहली बार ९.४ प्रतिशत वोट मिले थे। जब अयोध्या का आंदोलन हुआ तो १९८९ में भाजपा को ११.५ प्रतिशत वोट मिले | दो साल बाद चुनाव हुए तो भाजपा को २० प्रतिशत वोट मिले। १९९६ में यह प्रतिशत बढ़ा और भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ कर २०.३ हो गया। १९९८ में २५.६ प्रतिशत वोट लेकर भाजपा कांग्रेस की बराबरी में आई और १८४ सीट उसके पास थीं |
इसके बाद से भाजपा की सीटें भी कम हुई हैं और वोट का प्रतिशत भी गिरा । पिछले आम चुनाव में भाजपा को ११४ सीटें और १९,८ प्रतिशत वोट मिले थे |अर्थात. भाजपा 1991 के दौर में पहुंच गई थी। कांग्रेस को उसके मुकाबले करीब नौ प्रतिशत वोट ज्यादा मिले लेकिन सीटें 206 आर्इं। साफ है कि वोट प्रतिशत बढ़ने से कांग्रेस की सीटें जितनी रफ्तार से बढ़ती हैं वैसा भाजपा के साथ नहीं होता। मोदी को इन आंकड़ों के साथ इस बात पर भी ध्यान देना होगा। देश में क्षेत्रीय दल और मजबूत हुए हैं।
भाजपा के वोट प्रतिशत का बढना और सीटों के न बढने के पीछे, तब भाजपा में वैज्ञानिक सोच की कमी उजागर हुई थी | अब भी इसमें कोई विशेष अंतर आया नहीं दिखता, इस बार तो कुछ अधिक ही हो रहा है | कोई न कोई नाराज़ ही रहता है |कभी आडवाणी जी कभी भागवत जी , और अब तो भाजपा के बाहर के रामदेव जी भी | सभी पहले कुछ कहते हैं, बाद में मुकरते हैं| अब राहुल गाँधी, शरद पंवार लालू यादव और अरविन्द केजरीवाल भी इसी कहासुनी में शामिल है | सवाल यह है मोदी इतना बड़ा विषय था क्या ? नहीं, नये प्रयोग के कारण ऐसा है |
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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