रायसेन/हबीब सिदिकी। जिले में रेत के अवैध खनन के कारण नदियों, खेतों, कुओं और वृक्षों की भारी बर्बादी हो रही है। एक दौर था जब यह जिला हरा-भरा होकर जिसके बीच से गुजरती नदियों की कल-कल, छल-छल सुनाई दिया करती थी लेकिन आज कड़वी सच्चाई यह कि सत्ताधारी दल के नेता खनिज माफियाओं के प्रशासनिक, पुलिस और दादागिरी के गठजोड़ ने न केवल पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाई है, बल्कि भारी भरकम मशीनों से कुदरती नदियों का स्वरूप ही बदल गया है।
रायसेन के ग्राम सेवासनी मार्ग पर चाँद भाई कि जमीन से लगे बेतवा के घाट पर विदिशा जिले के सत्ताधारी दल के 1 विधायक कि शह पर रायसेन कि जीवनदायनी कही जाने वाली बेतवा के साथ रेत माफिया बलात्कार कर रहै हैं और तो और नदी मैं पनडुब्बी से रेत का उत्खनन किया जा रहा है जो पूर्णतः प्रतिबंधित है। पर सत्ता के नशे मैं चूर माफियाओं को प्रशासन का तनिक भी डर नहीं ऐसा नहीं कि इस बात कि जानकारी प्रशासन सहित खनिज विभाग को न हो पर सबको अपनी नोकरी जो प्यारी है तो बिल्ली के गले मैं कोन घंटी बांधे क्योंकि मामला सत्ताधारी दल कई नेता का जो है अब देखना ये है कि कब उक्त मशीनों को जप्त कर कार्यवाही कि जाती है या फिर माफियाओं को मशीनरी हटाने का पर्याप्त समय दिया जायगा अभी तक जो करोडो के वारे न्यारे तो हो ही चुके हैं।
नदियों में रेत की मौजूदगी की एक महत्वपूर्ण पर्यावर्णीय भूमिका होती है। यह रेत नदी के बहाव को बनाए रखने और वर्षा जल से भू-जल के रीचार्ज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्षेत्र की नर्मदा, बेतवा, कालिया सोत, सहित छोटी बड़ी नदियों और किनारों पर किए जा रहे व्यापक खनन के कारण भू-जल स्तर लगातार कम हो रहा है और हजारों बीघा जमीन सिंचाई से वंचित हो रही है।
इतना ही नहीं, रेत-बजरी बड़ी मात्रा में हटाए जाने से समीपवर्ती खेतों का कटाव हो रहा है। जिससे अनेक किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गई है। साथ ही नदियों के आसपास के हजारों वृक्ष या तो सूख गए हैं या नष्ट होकर जमींदोज हो चुके हैं। नदियों में पानी के भराव का अनुकूल प्रभाव वातावरण पर तो होता ही है साथ ही खेती, पशुपालन दोनों ही मुख्य आजीविकाओं में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। किंतु बेतरतीब खनन के चलते नदियां उजाड़ हो गई हैं। खनन माफिया नदियों में जल भराव नहीं होने देते हैं। जिसके चलते पहले की अपेक्षा भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है और नदियों के आसपास सिंचाई के साथ पशु पालन में कमी आई है। प्रकृति से छेड़छाड़ कर किए जा रहे अवैध खनन के कारण न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि अब गांव से पलायन बढ़ रहा है ।
एनजीटी के आदेश की परवाह नहीं
दुर्गाशक्ति नागपाल के निलम्बन ने रेत खनन मामले को सुर्खियों में ला दिया है। इसी से जुड़े प्रकरण की सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देश भर में नदियों से रेत खनन पर रोक लगा दी। अब बिना लायसेंस या पर्यावरणीय मंजूरी के रेत निकालना अवैध होगा। पहले ट्रयूबिनल ने सिर्फ उत्तरप्रदेश की गंगा, यमुना, हिंडन, चम्बल और गोमती समेत अन्य नदियों से रेत खनन पर रोक लगाई थी, लेकिन बाद में यह आदेश देश के सभी राज्यों के लिए जारी कर दिया गया। बावजूद इसके प्रदेश एवं जिले में अवैध रेत और मुरम खनन का कारोबार बेरोकटोक जारी है। खनन कारोबारियों को प्रशासन का कोई भय नहीं है। यदि प्रदेश सरकार का संरक्षण इन्हें नहीं मिला होता तो कोई कारण नहीं कि अवैध उत्खनन रोका ना जा सकता था । सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार तथा पर्यावरण विभाग द्वारा स्वीकृति नहीं मिलने के बावजूद जिले में अनेक रेत खदानें बेरोकटोक संचालित हो रही हैं।
खदानों पर माफियाओं के कब्जे
जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा बेतवा सहित छोटी बड़ी नदियां इन दिनों रेत माफियाओं के हवाले हो गई है। बेरहमी से खनन के कारण इनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। वहीं खनन कारोबारी खनिज विभाग को करोड़ों का पलीता तो लगा ही रहे हैं, नदी की प्राकृतिक भू-संरचना के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। गौरतलब है कि नर्मदा नदी की रेत रायसेन जिले के अलावा दूसरे कई जिलों में भी प्रसिद्ध है। यहां की रेत माफियाओं द्वारा पूरे संभाग में सप्लाई की जाती है। खनिज विभाग व सरकार को चूना लगाकर अवैध तरीके से रेत खनन कर माल कमाने की रेत माफियाओं में होड़ सी लग रही है। शासन-प्रशासन की बेरुखी व उदासीनता के चलते यह बेखौफ होकर इस धंधे में लिप्त हैं ।
प्रशासनिक बेरुखी के पीछे सबसे बड़ा कारण माफियाओं से तगड़ी सेटिंग है। इतना ही नहीं खनिज विभाग के अलावा राजस्व विभाग के अमले के साथ ही पुलिस भी खनन माफियाओं से वसूली कर रही है। जिले मैं बगैर नीलाम अवैध रूप से संचालित खदानों पर जेसीबी और पोकलेन मशीन के जरिए हजारों डम्फर रेत निकाली जा रही है। जिन खदानों की नीलामी 11 माह पूर्व हुई थी उनका विभाग में अनुबंध तक नहीं हुआ है। अवैध खदानों पर दूसरी खदानों कि रॉयल्टी कट्टों का भी उपयोग खुले आम हो रहा है। आंखों पर नोटों की पट्टी बांधे प्रशासनिक अमले के हाथ बंधे हुए हैं। शासन से वेतन वसूलने वाले रेत माफियाओं के गुलामों की तरह जिले में काम कर रहे हैं और करोड़ों की खनिज सम्पदा खनिज माफिया अफसरों की जेब गरम कर कौडियों के मोल लूट रहे हैं। खनिज विभाग व प्रशासन द्वारा ठेकेदारों पर सख्ती नहीं किए जाने के कारण उनके हौंसले बुलंद हैं। सागर रोड पर कन्या शाला के निकट रेत की मंडी लगती है। प्रतिदिन दर्जनों डम्फर नदियों की खदानों से रेत भरकर लाते हैं और एक डम्फर दस से पंद्रह हजार रुपए तक बैचते हैं।
इनका कहना है
सेवासनी ग्राम के समीप पूर्व मैं उत्खनन कि अनुमति दी गयी थी जो समाप्त हो गयी है अब अगर रेत का खनन हो रहा है तो अवैध है दल भेज कर कार्यवाही कि जायगी नदी से मशीन से रेत निकलना गलत है
एस एस बघैल
खनिज अधिकारी रायसेन
अगर ऐसा हो रहा है तो ये गैर कानूनी है दल भेजकर जांच उपरांत कार्यवाही कि जाएगी
जे के जैन
कलेक्टर रायसेन