भोपाल। भाजपा ने 29 में से 24 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन हाई प्रोफाइल भोपाल संसदीय सीट से कौन चुनाव लडेगा इसका रहस्य अभी भी बरकरार है। भोपाल और फिर दिल्ली में गहन मंथन के बाद निकले प्रत्याशियों के नामों में ज्यादातर पूर्वानुमान के हिसाब से ही हैं।
पांच सीटें इसलिए अटकीं
पहली सूची में अटकी पांच सीटों में भोपाल को लेकर सबसे ज्यादा बुद्घिविलास किया जा रहा है। पार्टी का एक धड़ा इसे सुरक्षित मानते हुए जहां आड़वाणी जैसे हैवीवेट वाले नेता को उतारने के पक्ष में है। वहीं दूसरा धड़ा स्थानीय और जमीनी कार्यकर्ता की पैरवी कर रहा है। कांग्रेस से उतारे गए पीसी शर्मा को भाजपा हल्के में लेने की स्थिति में नहीं है। सागर की सीट को लेकर एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति बनी हुई है। जबकि खजुराहों में पेंच यह फंसा है कि मौजूदा उम्मीदवार जितेंंद्र सिंह बुंदेला की टिकट काटकर हारे हुए मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया को टिकट कैसे दे दी जाए? बालाघाट का मामला विरासत को लेकर है। केडी देशमुख व गौरीशंकर बिसेन दोनों ओर से बराबरी की टसल है। मंदसौर से कांग्रेस की मीनाक्षी के मुकाबले उच्च पढ़े-लिखे युवा चेहरे की तलाश है।
इसलिए इनके टिकट कटे
मौजूदा सांसदों में सीधी से गोविद मिश्रा के खिलाफ विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी की मुखालफत का आरोप असर कर गया है। भिंड के सांसद अशोक अर्गल विवादित और पार्टी सर्वे में असरहीन पाए गए। भागीरथ प्रसाद पर भाजपा ने इसलिए दुस्साहासिक दांव खेला था। इस सूची में सबसे महत्वपूर्ण नाम प्रहलाद पटेल का है। इन्हें शिवराज सिंह चौहान का प्रतिद्वंद्वी माना जाता रहा है पर श्री पटेल ने पिछले पांच सालों में ऐसा कोई मौका नहीं आने दिया, जिससे प्रतिद्वंद्विता की बात उभरे। वे महाकौशल के कदावर नेता हैं। पार्टी में दोबारा आने के बाद उन्होंने पार्टी को पूरी तरह से अपनाया। किसान मोर्चा की राष्ट्रीय बैठक के मंच पर वे मुख्यमंत्री चौहान के साथ नजर आए।