सतेन्द्र त्रिपाठी/नई दिल्ली: केन्द्र सरकार के बजट से इस
बार भी सरकारी कर्मचारियों को मायूसी ही हाथ लगी है। आयकर में छूट की सीमा
को बढ़ाए जाने का इंतजार कर रहे कर्मचारियों का इंतजार फिर बढ़ गया है।
कर्मचारियों का कहना है कि कर्मचारियों के लिए कुछ न करके कारें व मोबाइल सस्ते करने से कुछ नहीं होने वाला है। आयकर में छूट मिलती तो कर्मचारियों को परिवारों को राहत मिलती। पहले ही बढ़ती मंहगाई ने कमर तोड़ रखी है। अंतरिम बजट के नाम पर केवल छलावा हुआ है।
डॉ. महेन्द्र अग्रवाल कहते हैं कि 'स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ ठोस कदम उठाए जाने की जरुरत थी। इसकी उम्मीद भी की जा रही थी, मगर मायूसी ही हाथ लगी है। सरकार का बजट निराश करने वाला है।'
बैंक अधिकारी ओमकार त्रिपाठी का कहना है कि 'इस बार सबको उम्मीद थी कि सरकार आयकर में छूट की सीमा बढ़ाएंगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। लंबे समय से सब इसका इंतजार कर रहे है, लेकिन पता नहीं क्यों इस पर कुछ नहीं किया जा रहा है।'
डॉ.रुचि का कहना है कि 'स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार ने कोई तोहफा नहीं दिया। जो लोग अस्थाई नौकरी कर रहे है, उनके लिए भी कुछ प्रावधान नहीं किया गया है। जब तक कर्मियों को नौकरी की गारंटी नहीं होगी तो वह अच्छा काम कैसे पाएंगे। आयकर का मुद्दा तो हर कर्मचारी से जुड़ा हुआ है।'