महिला संविदा सुपरवाईजरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू

भोपाल। महिला एवं बाल विकास सर्व पर्यवेक्षक समिति की अध्यक्ष नाहिद जहाँ एवं मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के आव्हान पर महिला बाल विकास विभाग में कार्यरत संविदा सुपरवाईजरों (पर्यवेक्षकों) की अनिश्चित कालीन हड़ताल आज से राजधानी भोपाल के यादगारे शहाँजहाँनी पार्क में प्रारंभ हुंई।

इस हड़ताल में प्रदेश की सभी संविदा सुपरवाईजरों ने भाग लिया। प्रदेश से आई हुई सभी महिला संविदा सुपरवाईजरों ने एक सुर में म.प्र. शासन की इस दोहरी नीति का विरोध करते हुये कहा कि जो संविदा महिला पर्यवेक्षक पहले से ही व्यापम परीक्षा उत्र्तीण होकर महिला पर्यवेक्षकों के नियमित पदों के विरूद्व तनमयता और पूरी ईमानदारी से कार्य कर रहीं है सरकार उससे छः वर्ष के बाद कह रही है कि आप वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यार्थियों के साथ परीक्षा दो यदि आप मैरीट के आधार पर उत्र्तीण हो जाते है तो आपको नियमित कर दिया जायेगा।

वहीं दूसरी तरफ सरकार ने दो बार गुरूजी पात्रता परीक्षा में फेल हुये 7717 गुरूजियों को बिना किसी परीक्षा के आदेश क्र. एफ - 44-6/2014/20-2 दिनांक 10.02.2014 से सीधे संविदा शिक्षक बना दिया । जो कि तीन वर्ष पश्चात सीधे अध्यापक बनकर नियमित हो जायेगें । तथा दूसरा उदाहरण  महिला बाल विकास में वर्ष 1995 - 1996 में मानदेय पर काम करने वाली आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को से सीधे नियमित कर सुपरवाईजर बना दिया था, सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की कोई परीक्षा नहीं ली गई थी ।  सरकार कुछ कर्मचारियों पर मेहरबानी कर रही है तथा कुछ के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है ।

गौरतलब है कि 18 फरवरी 2014 को मंत्री परिषद की बैठक में 3215 नियमित महिला बाल विकास सुपरवाईजरों के पदों का सृजन किया गया। तथा यह निर्णय भी लिया गया कि पूर्व में 2007 में महिला बाल विकास विभाग द्वारा 1019 नियमित पदांे के विरूद्व व्यापम के माध्यम् से संविदा पर्यवेक्षकों की भर्ती की गई थी यदि उनको नियमित होना है तो फिर से उन्हें व्यापम की परीक्षा देनी होगी तथा उन्हें प्रतिवर्ष अनुभव के हिसाब से 4 अंक तथा अधिकतम् 20 अंक दिये जायेंगें ।  समस्त संविदा महिला पर्यवेक्षक इस बात का विरोध कर रही हैं कि एक बार जब व्यापम की परीक्षा हम दे चुंके हैं तो सभी संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित पदों के विरूद्व सीधे नियमित करना चाहिए ना कि पुनः व्यापम की परीक्षा लेकर।

वर्तमान में इनका वेतन मात्र 10000 (दस हजार) रूपये है । वहीं नियमित महिला पर्यवेक्षक का वेतन 30000 (तीस हजार) रूपये से अधिक है । नियमित पर्यवेक्षकों के कार्य के घंटे तय हैं, उनको मंहगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, वाहन भत्ता,  आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश, अर्जित अवकाश, प्रदान किया जाता है। वहीं संविदा पर्यवेक्षकों को वेतन के रूप में मात्र दस हजार रूपये दिये जाते हैं तथा अवकाश के नाम पर 13 आकस्मिक अवकाश तथा 3 ऐच्छिक अवकाश प्रदान किये जाते हैं, तथा संविदा महिला पर्यवेक्षकों के काम के घंटे तय नहीं है । उनको सुबह बुलाया जाता है तथा देर रात तक काम करवाया जाता है। यदि वो इसके खिलाफ आवाज उठाती हैं तो उनको संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है । सभी महिला सुपरवाईजरों ने कहा कि 1 मार्च से प्रांरभ हो रहे स्नेह शिविर और सुपोषण अभियान का बहिष्कार किया जायेगा । क्योंकि जब संविदा महिला सुपरवाईजर ही कुपोषित हैं तो वो बच्चों को कैसे करें सुपोषित । महिला बाल विकास विभाग की हड़ताली महिला सुपरवाईजरों ( पर्यवेक्षकों ) को अनेक कर्मचारी संगठनों ने समर्थन देते हुये धरने को सम्बोधित किया । म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर, म.प्र. राज्य कर्मचारी संघ स्वास्थ्य विभाग इकाई के अध्यक्ष सुरेन्द्र कौरव, लघुवेतन कर्मचारी संघ के प्रान्ताअध्यक्ष निहाल सिंह जाट , स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अजीज खान, म.प्र. डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश तोमर, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष अरूण द्विवेद्वी, एल.एन. शर्मा, उमाशंकर तिवारी, वाहन चालक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष साबिर खान, निगम मण्डल कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष नीलू श्रीवास्तव, म.प्र. कर्मचारी कांग्रेस के प्रान्ताअध्यक्ष वीरेन्द्र खोंगल, म.प्र. पशु चिकित्सा क्षेत्र अधि. संघ के अध्यक्ष आर.पी. उपाध्याय, मनरेगा इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष देवेन्द्र उपाध्याय आदि ने अपना समर्थन दिया तथा धरने को सम्बोधित किया ।

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