राकेश दुबे@प्रतिदिन। यह कोई भविष्यवाणी नहीं है, दीवार पर लिखी इबारत की तरह ही इसे समझ लें | 2014 में बनने वाली केंद्र सरकार गंभीर आर्थिक संकट से गुजरेगी और उत्पादन क्षीणता का दोष भोगेगी |
कांग्रेस जिस दरियादिली से खजाने खोलने में लगी है , उससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस मान बैठी है, कि वह सत्ता में नहीं आ रही है | पिछले कई सालों से लम्बित आर्थिक फैसले केंद्र सरकार चुनाव के पूर्व लेने जा रही है | जिसके परिणाम स्वरूप महंगाई का बढना निश्चित है |
अगले दो सप्ताह में सरकार कई सौगातों की घोषणा करेगी | इनमे मिनिमम वेज, अश्युर्ड मिनिमम पेंशन और ग्रैच्यूटी, प्रॉविडेंट फंड (पीएफ), बोनस और हेल्थकेयर जैसे एंप्लॉयमेंट बेनेफिट के लिए उच्च वेतन सीमा शामिल हो सकते हैं।सरकार पिछले कई साल से इनमें से ज्यादातर को टालती आ रही है।कारण यह है कि कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और सरकार चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले नौकरीपेशा श्रेणी के लिए पैकेज लाना चाहती है।
5 फरवरी को एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड की बैटक में श्रम मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस 8.87 करोड़ ईपीएफ एकाउंट होल्डर्स के लिए 1,000 रुपये की न्यूनतम मासिक पेंशन की घोषणा कर सकते हैं। मैंडेटरी पीएफ कंट्रिब्यूशन के लिए मंथली वेज लिमिट को भी 6,500 से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया जा सकता है। इससे रिटायरमेंट फंड में ज्यादा पैसे जमा होंगे। पहले वित्त मंत्रालय इन दोनों का विरोध कर रहा था । हालांकि 21 जनवरी को उसने श्रम मंत्रालय को भेजे पत्र में इन पर हामी भर दी
आज सरकार सी एन जी और पी एन जी की दरों में कमी करने की घोषणा की है | पहले नई दिल्ली विधान सभा चुनाव के दौरान इनकी दरों में वृद्धि की गई थी | अब सरकार का तर्क है कि नई नीति के तहत गैसों का उत्पादन अधिक होगा जिससे यह सस्ती हो जाएगी | सरकार की इन नीतियों का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभाव आम उपभोक्ता और सरकारी खजाने पर होगा इसमें कोई संदेह नहीं है |