बीजेपी ने प्रदेश के सभी सहकारी बैंक अध्यक्षों व संचालकों से इस्तीफे मांगे

भोपाल। प्रदेश भाजपा संगठन ने राज्य के सभी 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के निर्वाचित पार्टी समर्थक अध्यक्षों और संचालकों से इस्तीफे मांग लिए हैं। सोमवार को अचानक हुए इस घटनाक्रम से सहकारिता क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

बताते हैं कि इस निर्णय के पीछे संगठन की मंशा सहकारिता प्रकोष्ठ और मार्कफेड के अध्यक्ष रमाकांत भार्गव को भविष्य में जिला सहकारी केंद्रीय बेंकों की शीर्ष संस्था अपेक्स बैंक का अध्यक्ष बनाए जाने की है। प्रदेश के सहकारिता क्षेत्र के चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले प्रस्तावित है। पर माना जा रहा है कि इस चुनाव की अवधि एक बार फिर बढ़ सकती है।

इसी बीच प्रदेश भाजपा संगठन द्वारा सोमवार को लिए गए एक फैसले से सहकारिता क्षेत्र में खलबली मच गई है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश भाजपा कार्यालय से फोन कर इन जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के अध्यक्षों और संचालकों को फोन कर इस्तीफे मांग लिए गए हैं। इन अध्यक्षों से पांच जनवरी तक हर हाल में प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन को इस्तीफे सौंपने के लिए कहा गया है।

हालांकि इसके लिए फिलहाल कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए गए हैं। प्रदेश भाजपा के कार्यालय मंत्री आलोक संजर ने बैंकों के अध्यक्षों और संचालकों से इस्तीफे के लिए फोन करने की पुष्ठि की है। बताया जाता है कि जिन लोगों से इस्तीफे मांगे गए हैं वे सभी निर्वाचित है। इसके चलते राज्य सरकार जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को भंग नहीं कर सकती है। इसलिए प्रदेश भाजपा संगठन द्वारा इस्तीफे मांगे गए हैं। प्रदेश में 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक है। इसमें एक अध्यक्ष के अलावा 11 से लेकर 21 तक संचालक है। कई बैंकों में कांग्रेस से जुडे संचालक भी है।

सूत्र बताते है कि इस्तीफे मांगने की रणनीति पार्टी के सहकारिता प्रकोष्ठ और मार्कफेड के अध्यक्ष रमाकांत भार्गव के इशारे पर तैयार की गई है। उनकी नजर अपेक्स बैंक के अध्यक्ष पद पर है। फिलहाल अपेक्स बैंक के अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत है। वे हाल ही में बदनावर से विधानसभा चुनाव जीते हैं। फिलहाल जितने भी अध्यक्ष और संचालक है वे सभी शेखावत के समर्थक माने जाते हैं। इनमें भार्गव के समर्थक बहुत कम है।

सूत्रों के अनुसार यह रणनीति है कि सभी अध्यक्ष और संचालक अपने पद से इस्तीफे दे देते हैं तो सरकार के समक्ष बैंकों को भंग करने के अलावा कोई और अन्य विकल्प नहीं रहेगा। ऐसे में राज्य सरकार इन बैंकों में ओआईसी पदस्थ कर देगी। इस बीच भार्गव सहकारिता चुनाव में अपने समर्थक तैयार कर लेंगे। ऐसे में अपेक्स बैंक की कुर्सी उनके लिए आसान हो जाएगी।


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