भोपाल। भाजपा की फायर ब्रांड नेता जिससे देश के कई दिग्गज थरथराते हैं, संविदा शिक्षक भर्ती कांड में अपना नाम आते ही बेतहाशा घबरा गईं थीं। हालात यह थे कि उनका खुद पर भी नियंत्रण नहीं रहा था। वो बदहवास यहां वहां फोन लगा रहीं थीं।
सूत्र बताते हैं कि मीडिया में उनका नाम आते ही उन्होंने खुद पर से अपना नियंत्रण खो दिया था। हालयत यह बने कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह तक को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार एसटीएफ की एफआईआर के हवाले से उमा का नाम 19 दिसंबर को जैसे ही मीडिया में उजागर हुआ, उससे प्रदेश सरकार सकते में आ गई। इस बीच, उमा ने डीजीपी को पत्र लिखकर इस मामले में मुलाकात का समय भी मांग लिया था। इससे प्रदेश के आला भाजपा नेता खासे तनाव में थे। आनन-फानन में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से संपर्क कर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
राजनाथ ने दी समझाइश
उमा भारती के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि इस सम्पूर्ण वाकये के समय वह दिल्ली में थी। राजनाथ सिंह ने टेलीफोन पर उमा से सम्पर्क कर उन्हें इस मामले में सरकार के नजरिए से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने धैर्य रखने की सलाह दी। इस बातचीत में यह तय हुआ कि पार्टी की फायरब्रांड नेता अपना पक्ष रखने प्रदेश पुलिस मुख्यालय नहीं जाएंगी, बल्कि डीजीपी खुद उनके भोपाल स्थित बंगले पर आएंगे। हुआ भी यही, डीजीपी 21 दिसम्बर को सुबह अप्रत्याशित रूप से उनके बंगले पर पहुंच गए। इससे एक दिन पहले एसटीएफ ने भी लिखित में मीडिया को जानकारी भेजी कि इस मामले में उमा आरोपी नहीं हैं।
एक लाइन का जवाब
सूत्रों के अनुसार फर्जीवाड़े पर उमा ने एसटीएफ को जो जवाब भेजा है, वह एक लाइन का है। इसमें उन्होंने लिखा, "संविदा शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।" एसटीएफ ने उमा का जवाब मिलने की पुष्टि की है। उमा के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक इस जवाब का मजमून डीजीपी के मुलाकात के समय ही तय हो गया था। बताया जाता है कि इस मामले में यह भी तय हुआ है कि भविष्य में उमा भारती से कोई पूछताछ नहीं की जाएगी। जांच के दौरान एफआईआर में उनके नाम को रेंफरेस के रूप में मान लिया जाएगा। उधर, डीजीपी दुबे ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।