भोपाल। बहुुचर्चित मनमाड इंदौर रेलमार्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुवे माननीय श्रीमान मुख्य न्यायाधीश श्री अजय एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति श्री एस.के. केमकर जी ने सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब महाराष्ट्र और यूनियन आॅफ भारत सरकार रेल्वे बोर्ड इस जनहित के मामले मे अपनी हिस्सेदारी दे रही है
तो मध्य प्रदेश भी शीघ्र हिस्सेदारी देना तय करे ताकि मानसुन के पहले रेल्वे लाईन निर्माण का कार्य शुरू हो सके जब यह मामला न्यायालय मे आया तब उस मार्ग की निर्माण लागत 17 सौ 50 करोड की थी जो लगातार प्रदेश सरकार की ना के कारण बढती जा रही है इस पर प्रदेश शासन की और से पैरवी करते हुए शासन के वकील ने कहाॅ कि प्रदेश सरकार जमीन व अन्य साम्रगी देने की सहमति दे चुकी है
इस पर माननीय न्यायालय ने कहा कि इतने बडे आदिवासी इलाके के क्षेत्र का विकास प्रदेश का विकास देखते हुए भी आप नही चाहते कि इस मार्ग का निर्माण हो अगली सुनवाई के पहले प्रदेश सरकार स्पष्ट रूप से जवाब दे कि हिस्सेदारी देना है या नही माननीय न्यायालय ने प्रदेश सरकार से पुछा कि प्रदेश की माली हालत ठीक नही है तो बताये जिसके जवाब मे वकील ने कहाॅ कि प्रदेश हालत ठीक है। याचिकाकर्ता मनोज मराठे ने हर्ष व्यर्कत किया कि माननीय न्यायालय द्वारा इस जनहित के मामले मे शीघ्र उचित न्याया दिया जाएगा।
हमे विश्वास है कि न्यायालयीन कार्यवाही के चलते ही हमे इस रेल मार्ग निर्माण मे सहायता मिलेगी 350 कि.मि. के इस रेलमार्ग निर्माण से जहाॅ दिल्ली बम्बई की दुरी कम होगी वही प्रतिदिन उस मार्ग के रेल्वे को 6300 किलो मिटर की दुरी कम तय करना पडेगी।
इस बचत से ही इस रेलमार्ग की लागत मात्र 3 वर्ष मे वसुल हो जाएगी तो वही मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के तृप्ती नदी के पानी के चलते दोनो राज्यो मे बडे बडे उद्योग के रास्ते खुलेगे और 3 करोड से अधिक लोगो को सीधा फायदा होगा याचिकाकर्ता की और से पैरवी वरिष्ठ अभिभाषक हेमलता गुप्ता ने कि मध्य प्रदेश शासन की और से मीनी रविन्द्र व रेल्वे की और से श्री आनंद पाठक ने पैरवी की अगली सुनवाई जनवरी प्रथम सप्ताह मे रखी गयी है।
हेमलता गुप्ता (एडव्होकेट)
मों. 98272-22641
मनोज मराठे
मो. 81094-70595