भोपाल। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेक्रिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) जल्द ही आम लोगों की सेवा के लिए सामने आ जाएगा। 51 जिलों में इस सॉफ्टवेयर के अपलोड का काम तेजी से किया जा रहा है।
जिलास्तर पर अपराधिक कुंडली को सरंक्षित करने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब केवल पुलिस के आरक्षक से डीएसपी तक अधिकारियों को इस सॉफ्टवेयर की बारीकियों के बारे में बताया जा रहा है। प्रदेश में सीसीटीएनएस के अधिकारियों का दावा है कि अप्रैल 2014 तक तक इस पर आनलाइन एफआईआर लिखी जा सकेगी।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की पहल पर दो हजार करोड़ की लागत से पूरे देश में एफआईआर को पेपरलैस बनाने के लिए ई-गर्वनेस के सहयोग से क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) की शुरुआत की गई है। इसमें प्रदेश सरकार ने सहयोग करते हुए 88 करोड़ खर्च करने का बजट स्वीकृत किया है।
इसके तहत पूरे देश के 14 हजार थाने और छह हजार दμतरों को सीधे आनलाइन कर आपस में जोड़े जाएंगे। इस सेवा के शुरू होने के बाद लोगों को थाने के चक्कर काटने से छुटकारा मिल जाएगा।
ऐसे काम करेगा यह सॉफ्टवेयर
सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट में हर छोटे बडे अपराधियों के डाटा फोटो समेत अपलोड किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर के पूरे देश के थानों से जोड़ा जाएगा। इसका सबसे अहम फायदा पुलिस को यह होगा कि पूरे देश के आरोपियों की जन्म कुंडली इस पर होगी। अपराधी वारदात के बाद किसी भी राज्य में पनाह लेने के बाद भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। उनके नाम की जानकारी इस साμटवेयर पर डालते ही सारी इंफॉरमेशन आन एयर हो जाएगी।
373 थानों की जानकारी
क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के प्रोजेक्ट में मप्र के अपराधियों के डाटा को अपलोड जिलास्तर पर किया जा रहा है। इसमें तहसील, गांव और कस्बों के सभी 373 थानों के निगरानी बदमाश की पूरी जानकारी शामिल रहेगी। वहीं, घटना वाले क्षेत्र की पुलिस के लिए यह सिस्टम बदमाश को पकड़ने कामगार सिद्ध होगा।
पीएचक्यू में चल रही है ट्रेनिंग
मप्र के 51 जिलों में सीसीटीएनएस के बारे में पुलिस के कर्मचारियों को बताया जा रहा है। इसमें एफआईआर, केस डायरी और रोजनमाजा को सॉफ्टवेयर पर कैसे आपरेट किया जाता है। उन खास विंडों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि जिनसे डाटा आनलाइन होकर पूरे देश के सरवर पर वर्क करेगा। इसके लिए राजधानी के थानास्तर से 20-20 पुलिस कर्मचारी व अधिकारियों को पीएचक्यू के एससीआरबी में ट्रेनिंग दी जा रही है, जबकि जिलास्तर पर यह प्रशिक्षण एसपी आफिस में प्रशिक्षण में दिया जा रहा है।