भोपाल। नगरनिगम में हुए करोड़ों के संपत्तिकर घोटाले में अंतत: अफसरों ने एक चपरासी को बली का बकरा बनाकर पेश कर दिया। चपरासी अपने हाथ में शपथ पत्र लेकर आया और गुनाह कबूल कर लिया।
वार्ड-41 में 42 लाख रुपए के संपत्ति कर एवं अन्य करों के घोटाले में वार्ड प्रभारियों, इंजीनियरों और आडीटरों को क्लीन चिट का इंतजाम हो गया है। दो हफ्तों से गायब वार्ड के चपरासी ने शपथ पत्र में सारे घोटाले की जिम्मेदारी कबूल ली है। बस इसी की आड़ में वर्ष 2010 से चल रही गड़बड़ी के नतीजे में करोड़ों रुपए हड़पने, बिना फाइल बने आचार संहिता के बाद भी नल कनेक्शन करने वाले पीएचई के इंजीनियर, आवासीय संपरीक्षा में सब कुछ सही ठहराने वाले आडीटरों को क्लीन चिट देने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
वार्ड 41 में पदस्थ रहे कर्मचारी भृत्य श्याम सिंह ने कमिश्नर विशेष गढ़पाले के समक्ष सोमवार को शपथ-पत्र देकर जुर्म कबूल लिया। सूत्रों के अनुसार, श्याम सिंह ने शपथपत्र में कहा कि बीबी को कैंसर होने से रुपए की जरूरत थी। करों की वसूली के हेरफेर करने में उसका किसी ने साथ नहीं दिया, बल्कि स्वयं ही उसने यह काम किया है।
शपथ पत्र पर उठे सवाल
श्याम सिंह का शपथ पत्र सोची समझी साजिश के तहत पेश करवाने की चर्चाएं हैं। वर्ष 2010 से चल रहे संपत्तिकर का घोटाले में 42 लाख का पता चल चुका है। चार साल की राशि करोड़ों में पहुंचने के आसार हैं। वह संपत्ति कर हड़पता रहा और किसी को भनक तक नहीं हुई। हालांकि, शपथ पत्र में आचार संहिता के बाद भी बिना फाइल बने
पीएचई के एई कनेक्शन कैसे करने का जिक्र नहीं है। वार्ड प्रभारी अवध नारायण मकोरिया और दीपक भालेराव के हस्ताक्षर वाली रसीद बुक जारी होती रही।
चार स्तर पर की गई गड़बड़ी
जांच अधिकारी राजस्व अधिकारी प्रदीप वर्मा के अनुसार शपथ पत्र पहली नजर में ही शंकास्पद है, क्योंकि बीते चार से हो रही संपत्तिकर चोरी बिना चार स्तर पर मिलीभगत के हो ही नहीं सकती। वार्ड प्रभारी, जोन अधिकारी, आडीटर और पीएचई के इंजीनियर की जांच होगी और बयान लिए जाएंगे। अभी रसीदों पर हस्ताक्षर की जांच, ठगे गए उपभोक्ताओं के बयान और बिना फाइल के ही नल कनेक्शन करने वाले इंजीनियरों की जांच होगी।