सरकारी स्कूल में यूनिफार्म घोटाला

राजेश मिश्र/झाबुआ। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में स्कूली बच्चे को ड्रेस के लिए दी जाने वाली राशि में गड़बड़ का मामला साने आया हैं। विद्यालय आने वाले बच्चों को सरकार की ओर से स्कूल ड्रेस के लिए 400 रूपए दिए जाने का प्रावधान है।

इस राशि में खेल करने से शिक्षक चूक नहीं रहे। ग्राम नवागांव के प्रेमचंद फलिया की प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों की पोशाक की राशि शिक्षकों ने हजम कर डाली।

इसके अलावा गड़बड़ की बात भी बच्चों को घर पर बताने पर धमकाया। अध्यापकों ने कहा कि यदि ये बात बच्चों ने घर पर बताई तो उन्हें पुलिस पकड़कर ले जाएगी। स्कूली ड्रेस की खरीद के लिए लिए दी जाने वाले 400 रूपये में अभिभावकों को दो जोड़ी खरीदना होता है जो संभव नहीं।

पोस्ट ऑफिस में ही वापस ले लिए
शाला में पढ़ने वाले शंकर लालसिंह डामोर कक्षा तीसरी, पानसिंह खुमचंद डामोर कक्षा चौथी, भारत लालसिंह डामोर कक्षा 5वीं तथा जनता शैतान कक्षा दूसरी ने बताया कि गत 4 दिसंबर बुधवार को नवागांव के ही प्राथमिक शाला तेरू फलिया में पदस्थ अतिथि शिक्षक मो. शफी कुरैशी बाइक से पोस्ट ऑफिस ले आया। बच्चों को पोस्ट ऑफिस तक ले जाने के लिए शिक्षक ने चार से पांच चक्कर काटे। पोस्ट ऑफिस में बच्चों के हस्ताक्षर करवाए गए। इसके बाद प्रत्येक बच्चे को 100 रूपए के चार-चार नोट दिए गए।

पोस्ट ऑफिस परिसर में ही प्राथमिक शाला प्रेमचंद फलिया में पदस्थ सहायक अध्यापक जोहरा कुरैशी जो बच्चों को ले जाने वाले शिक्षक की मां हैं, ने बच्चों से रूपए ले लिए। बच्चों को एक-एक बिस्कुट का पैकेट दिलवाया और वापस स्कूल छोड़ दिया गया। बच्चों ने बताया कि कुरैशी मैडम ने उन्हें कहा था कि किसी को बताना तक नहीं कि तुम्हे रूपए मिले थे, नहीं तो पुलिस पकड़ कर ले जाएगी। वापस छोड़ते समय शिक्षक ने पेट्रोल पंप से तेल भरवाया और इनामी कूपन भी लिया।

मुंह बांध रखा था
ग्राम नवागांव के निवासी लालसिंह डामोर ने बताया कि वह अनाज पिसवाने झाबुआ गया हुआ था। झाबुआ से बाइक पर उनके बच्चों को आते देखा। शिक्षक ने अपने चेहरे पर कपड़ा बांध रखा था, फिर भी बाइक से पहचान में आ गया। घर आकर खेती के काम में जुट गया। अगले दिन सुबह याद आया तो बच्चों को बुलाकर पूछा कि तुम पढ़ने जाते हो या घूमने। पहले तो बच्चे कुछ भी बताने से आनाकानी करते रहे, लेकिन सख्ती करने पर बच्चों ने बताया कि मास्टर उन्हें पोस्ट ऑफिस ले गए थे, जहां उन्हें रूपए मिले, जो कुरैशी मैडम ने रख लिए। स्कूल जाकर कुरैशी मैडम से बात की तो उन्होंने बताया कि जो भी पूछना है मौर्य मैडम से पूछना। दो बार स्कूल गया, लेकिन मौर्य मैडम नहीं मिली।

गत वर्ष की राशि भी नहीं
लालसिंह ने बताया कि इसी प्रकार गत वर्ष भी एक टैम्पो में कपड़े भरकर लाए गए थे। चारों बच्चों को स्कूल से डे्र्रस दे दी। दो दिन बाद मैडम ने बच्चों को घर भेजा कि जाओ घर से ड्रेस के रूपए लेकर जमा करना है। लालसिंह ने बताया कि उसके खाते में राशि जमा नहीं हुई है तो शिक्षिका ने कहा कि अभी अपने पास से दे दो, राशि जमा हो जाएगी। चार बच्चों के मान से दिए 1600 रूपए उसे आज तक नहीं मिले हैं। लालसिंह ने बताया कि उसके बच्चों के अलावा ग्राम के आशीष लालचंद डामोर, प्रियंका सुरेंद्र डामोर, कानसिंह खेमचंद डामोर, सुनीता पारसिंग डामोर, मनीष कालू भूरिया, विजय पींजू निनामा, रीना थाऊ भाबोर, लता लीमचंद डामोर, प्रवीण तोफस भाबोर, राजेश मुन्ना भाबोर व लल्ली जामसिंग भाबोर को भी पोस्ट ऑफिस ले गए थे। उनके रूपए भी कुरैशी मैडम ने रख लिए।

गलती से निकल गई थी
चार तारीख को कुरैशी मैडम जानकारी देने गई थीं। राशि गलती से निकल गई थी, जिसे लेकर फिर से जमा करवा दी गई है। गत वर्ष अभिभावकों के खाते में राशि डाल दी गई थी।
सुशीला मौर्य, सहायक शिक्षक

प्रभारी से पूछें
इस बारे में जो भी पूछना है प्रभारी से पूछें, मौर्य मैडम प्रभारी हैं, वहीं बताएंगी।
जोहरा कुरैशी, सहायक अध्यापक

प्रभारी मैडम ने भेजा था
मौर्य मैडम हमारी प्राचार्य हैं। उन्होंने बच्चों को लेकर मुझे पोस्ट ऑफिस भेजा था, राशि कुरैशी मैडम ने ले ली, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। बच्चों को चार-चार सौ रूपए तो मिले थे।
मो. शफी कुरैशी 

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