उपदेश अवस्थी/भोपाल। अरविंद केजरीवाल वहां दिल्ली में चाहे किसी के लिए सिरदर्द हों या ना हों परंतु मध्यप्रदेश में शिवराज के लिए समस्या बनते जा रहे हैं। अब तक शिवराज अकेले देश के ऐसे सीएम थे जिन्हें पूरा देश पसंद करता था परंतु अब केजरीवाल भी इसी लाइन पर आगे बढ़ रहे हैं।
भारत का इतिहास गवाह है यहां कई क्षेत्रीय पार्टियां पैदा हुईं और खत्म भी हो गईं, लेकिन किसी भी पार्टी की शुरूआत ऐसी नहीं हुई जैसी की 'आप' की हुई है। वो अपने आप में कई विशेषताओं को लेकर आई है।
तमाम पार्टियां क्षेत्रवाद, जातिवाद या इलाकाई राजनीति से शुरू हुईं और दिल्ली में जगह बनाई लेकिन 'आप' ने तो शुरूआत ही दिल्ली से कर डाली।
इतिहास के पन्नों में शायद ऐसी किसी पार्टी का जिक्र नहीं मिलता जिसने पहले ही चुनाव में ना केवल इतना बहुमत प्राप्त किया बल्कि अपनी सरकार भी बनाई और कांग्रेस जैसी पार्टी ने बिना शर्त समर्थन दिया।
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी 'आप' भारत में एक आदर्श राज्य सरकार का नमूना दिल्ली में पेश कर रही है। केजरीवाल ने तमाम सरकारी सुविधाएं ठुकरा दीं हैं। हर वो निशान जो दिल्ली सरकार के मंत्रियों को विशेष व्यक्ति का दर्जा प्रदान करता, हटा दिया गया है।
इतना ही नहीं जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए 5 साल नहीं बल्कि केवल 10 दिन मांगे और दिल्लीवासियों को मुफ्त पानी देने का आदेश भी जारी कर दिया। यह अपने आप में एक चमत्कारी और आम आदमी के लिए राहतभरी खबर है। लोग शायद ऐसी ही सरकार चाहते हैं, कम से कम आम आदमी, जो ना गरीब है और ना ही अमीर और इसके वोटों की संख्या भारत में 48 प्रतिशत है।
अब तक भारत में शिवराज सिंह चौहान अकेले ऐसे सीएम थे जो सर्वप्रिय कहलाते थे। विकास तो गुजरात में नरेन्द्र मोदी ने भी बहुत किया पंरतु वो सर्वप्रिय सीएम कभी नहीं कहला पाए। साम्प्रदायिकता के टेग ने उन्हें हमेशा अपनी आगोश में जकड़ कर रखा। कमोबेश वो इतने लोकप्रिय भी शायद हिन्दुवाद के कारण ही हुए परंतु शिवराज सिंह चौहान के माथे पर ऐसा कोई टेग नहीं है।
उन्होंने सभी वर्गों के लिए काम किया और कई योजनाएं बनाईं जो उनकी लोकप्रियता का बड़ा कारण बनीं, परंतु शिवराज सिंह चौहान की ज्यादातर योजनाएं निर्धन नागरिकों के लिए थीं, या फिर अतिसम्पन्न लोगों के लिए भी परंतु आम आदमी के लिए वो इतना कुछ नहीं कर पाए जो उल्लेखनीय हो जाए।
अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी को टारगेट कर प्रॉबलम्स को साल्व करना शुरू कर दिया है। निश्चित रूप से यह शिवराज सिंह चौहान के लिए नई चुनौती है। मध्यप्रदेश के आम आदमी केजरीवाल से नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद वो भी कुछ ऐसा ही करेंगे।
पानी, बिजली, पेट्रोल और प्राइवेट स्कूलों की फीस मध्यप्रदेश में बहुत मंहगे हो गए हैं। यह आम आदमी की सहन शक्ति से बाहर होते जा रहे हैं। तमाम तरह के टैक्सों ने मंहगाई को बेइंतहा बढ़ा दिया है। केन्द्र सरकार के टैक्स तो हैं ही लेकिन राज्य सरकार के टैक्स भी कम नहीं है।
देखना रोचक होगा कि क्या शिवराज सिंह चौहान आम आदमी के हित में ऐसे लोकप्रिय निर्णय ले पाएंगे और इस स्पीड के साथ ले पाएंगे जो मध्यप्रदेश के आम आदमी को केजरीवाल की 'आप' से प्रभावित होने से रोक पाए।