भोपाल। मध्यप्रदेश में अध्यापक आन्दोलन का जितना बड़ा इतिहास रहा है, श्रेय लेने का इतिहास शायद उससे भी बड़ा है। कुछ की नेतागीरी तो सिर्फ यह साबित करने पर टिकी है कि वो जैसा पूर्व में कह रहे थे, वैसा ही आदेश हुआ। भले ही आदेश नफे का ना होकर नुकसान का हो गया हो।
विगत कुछ महीनों में ऐसा ही श्रेय लेने वालों ने घोषणा कर दी कि अब अध्यापकों का वेतन जीरो बजट पर निकला करेगा । कुछ ने तो बाकायदा हेड भी बता दिया था । मगर अब तक न तो इस तरह का कोई आदेश हुआ है , न ऐसी कोई प्रक्रिया निर्धारित की गई है ।
समय पर वेतन भुगतान न होना अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों के लिए एक स्थायी व गंभीर समस्या है ।राशन , किराना , पेट्रोल , सब्जी , दूध , बच्चों की फीस आदि ऐसे जरूरी खर्च हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता । मगर बजट के अभाव में अध्यापक संवर्ग को प्राय: ही इन किल्लतों का सामना करना पड़ता है ।ऐसे में प्रदेश के तीन लाख अध्यापक परिवारों को हर माह की किल्लत से निजात दिलाने के लिए जीरो बजट पर वेतन आहरण की व्यवस्था करना नितान्त जरूरी है ।
इस बाबत भोपाल समाचार.कॉम इसके पहले भी आवाज उठा चुका है ।जिसके बाद जीरो बजट पर वेतन आहरण की जो बातें सामने आईं , वे मात्र शिगूफा साबित हुई हैं।
इस विषय पर भोपाल समाचार डाट कॉम में पूर्व में प्रकाशित खबरों को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें