प्रदेश में हो रही संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कई कारणों से त्रुटिपूर्ण है, इस प्रक्रिया की नियमावली और प्रावधानों के संधर्म में तो आप सभी ने मेरे पूर्व के लेख में पढ़ा होगा, पर न सिर्फ प्रावधानों के संदर्भ में अपितु नैतिक पहलु पर भी यह भर्ती प्रक्रिया अप्रशिक्षित आवेदकों के साथ खिलवाड़ बन गयी हैं। आखिर क्यों ?
1 ) मध्य प्रदेश संविदा शाला शिक्षक भर्ती विश्व की प्रथम शासकीय भर्ती है जिसमे नौकरी करने का अवसर पहले मेरिट लिस्ट में नीचे तथा न्यूनतम अंक प्राप्त करने वालो तक को प्राप्त हुआ है और कई अप्रशिक्षित मेरिट लिस्ट होल्डर (जिसमे में स्वयं भी शामिल हूँ) नौकरी का सपना ही देख रहे हैं। उदाहरण के तोर पर इस लेखक का परीक्षा परिणाम है रोल न 42315414 ,116 अंक , 3291 रैंक I यही नहीं मेरे रीवा निवासी मित्र ने 125 अंक प्राप्त कर प्रदेश में अंडर 1000 रैंक प्राप्त की है, फिर भी यह चयन प्रक्रिया हमारी तरह कई लाखो अप्रशिक्षित आवेदको को मौका नहीं दे रही है आखिर क्यों ?
2 ) क्या कोई भी विद्वान शिक्षक, शिक्षाशास्त्री , नेता या राज्य शासन के अफसर ये प्रमाणित कर सकते है की व्यापम द्वारा ली गयी परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त करना (जो की मुख्यतः अप्रशिक्षित आवेदकों को ही हैं) शासकीय सेवा में प्राथमिकता पाने का मापदंड होना चाहिए या शिक्षण प्रशिक्षण सम्बंधित परीक्षा पास करना I पूरा देश जनता है शिक्षण प्रशिक्षण सम्बंधित परीक्षा पास करना अत्यंत सरल है जिसका रिजल्ट पिछले कई वर्षो से लगभग 98 % ही रहा है जबकि व्यापम द्वारा ली गयी इस परीक्षा का परिणाम 30 से 40 % के मध्य है , फिर भी मेरिट लिस्ट धारी अप्रशिक्षित आवेदकों के साथ ये अन्याय आखिर क्यों ?
3 ) आज ही स्चूक शिक्षा विभाग द्वारा जबलपुर हाई कोर्ट के फैसले संधर्म में इस त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया में एक और संशोदन जोड़ दिया गया है (अरक्षित वर्ग को 5 % छुट देने बाबत ) जिससे यह साबित होता है की शासन द्वारा अमल में लायी जा रही यह प्रक्रिया दोषपूर्ण है ,
लगातार माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तथा उनकी शासन व्यवस्था से, भास्कर समाचार.काम के माध्यम से हम लोगो के अनुरोध करने पर भी उचित न्याय न मिल पाने के कारन अब प्रदेश भर के लगभग तीन लाख पचास हज़ार अप्रशिक्षित उत्तीर्ण आवेदको के सामने अंतिम निश्यय लेने का वक्त आ गया है I क्योंकि सभी अप्रशिक्षित उत्तीर्ण आवेदको के समक्ष मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तथा उनकी शासन व्यवस्था ने मात्र दो ही विकल्प छोड़े हैं , एक तो ये कि हम सभी भाई बहिन अपने भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ पर ,घर पर हाथ पर हाथ धरे शोक मनाये ,विलाप करे दूसरा है की हम सभी एक जुट होकर शासन के इस तुगलकी भर्ती प्रक्रिया के विरुद्ध भोपाल में धरना प्रदर्शन तथा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सोपने का रास्ता अपनाये I तो जो भाई बहिन दुसरे विकल्प को उचित समझते है ऐसे प्रदेश भर के सभी अप्रशिक्षित उत्तीर्ण आवेदको को भोपाल में आन्दोलन के लिए कमर कस लेनी चाहिए I
ऐसे सभी भाई बहिनों के चरणों में कुछ पंक्ति हैं जो निश्चित ही आपको बल प्रदान करेंगी
न हाथ एक शस्त्र हो,
न हाथ एक अस्त्र हो,
न अन्न वीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डरो नहीं,
बढ़े चलो, बढ़े चलो
गगन उगलता आग हो,
छिड़ा मरण का राग हो,
लहू का अपने फाग हो,
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं,
बढ़े चलो, बढ़े चलो
चलो नई मिसाल हो,
जलो नई मिसाल हो,
बढो़ नया कमाल हो,
झुको नही, रूको नही,
बढ़े चलो, बढ़े चलो
अशेष रक्त तोल दो,
स्वतंत्रता का मोल दो,
कड़ी युगों की खोल दो,
डरो नही, मरो नहीं,
बढ़े चलो, बढ़े चलो|
आपका भाई
सचिन भटनागर
sachin_sjr@rediffmail.com