भोपाल। राजस्थान सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने राज्य कर्मचारी के शराबी का आदी होने पर उस कर्मचारी का आधा वेतन उसकी पत्नी के खाते में स्थानान्तरित करने के लिए नियमों में संशोधन करने की सिफारिश की है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि समिति की सिफारिशें सरकार को मिली है।
शिकायत सही होने पर
शराब के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव कदम उठाएगी। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि किसी राज्य कर्मचारी के शराब के आदी होने की शिकायत उसके परिजनों से मिलने पर संक्षिप्त जांच करवाने जांच में शिकायत सही पाए जाने पर सम्बन्धित कर्मचारी का आधा वेतन उसकी पत्नी के खाते में स्थानान्तरित करने की सिफारिश की है।
दुकान हटाने का भी प्रावधान
उन्होंने बताया कि कमेटी ने इसके लिए मौजूदा सेवा नियमों में संशोधन करने की अनुशंषा की है। उच्च स्तरीय समिति ने राज्यसभा को पंचायत अथवा नगर पालिका वार्ड के 20 प्रतिशत मतदाताओं द्वारा किसी मदिरा दुकान को हटाने की मांग की जाती है तो उस पंचायत नगर पालिका वार्ड के 50 प्रतिशत मतदाताओं द्वारा बहुमत से किसी मदिरा की दुकान को हटाने की मांग की पुष्टि करके उस दुकान को हटाने की कार्रवाई के लिए नियमों में संशोधन करने, शराब की बोतलों पर ऐसी सचित्र वैधानिक चेतावनी अंकित करने जिससे उपभोक्ताओं को इससे होने वाली हानि का भय हो तथा शराब के दुष्परिणामों के संबंध में योजनाबद्ध जनजागरण अभियान चलाने की सिफारिश की है।
जुर्माना 500 से शुरू
समिति ने सार्वजनिक स्थलों पर मद्य सेवन के पाए जाने पर जुर्माना करने के लिए राजस्थान पुलिस एक्ट की धारा 60 के अन्तर्गत वर्तमान में जो प्रावधान हैं उन्हें संशोधित करने की सिफारिश की है। किसी व्यक्ति के शराब के नशे में धुत मिलने पर प्रथम उल्लंघन पर 500 रुपए जुर्माना तथा इसके बाद प्रत्येक उल्लंघन पर 5 हजार रुपए एवं 3 से अधिक बार उल्लंघन पर 10 हजार का जुर्माना।