865 में से 290 डॉक्टर्स को नहीं चाहिए मध्यप्रदेश सरकार की नौकरी

भोपाल। योग्य और प्रतिभावान लोग अब मध्यप्रदेश में जॉब नहीं करना चाहते। इसकी एक नजीत मध्यप्रदेश में चल रही डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया में देखने को मिली जब बार बार बुलाने के बाद भी 865 में से 290 डॉक्टरों ने काउसलिंग में हिस्सा ही नहीं लिया।

प्रदेश भर के चिकित्सकों, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ की कमी और विरोध का दंश झेल रहे स्वास्थ्य विभाग के सामने एक और मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल विभाग ने स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए करीब 865 चिकित्सकों की नियुक्ति का दावा किया गया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि उनमें से 33 प्रतिशत डॉक्टरों ने अभी तक पोस्टिंग के लिए अपनी काउंसलिंग ही नहीं कराई है।

हालांकि विभाग द्वारा इसके लिए दो बार काउंसलिंग आयोजित की जा चुकी है। इन चिकित्सकों ने अभी तक न तो कार्यालय में उपस्थिति दर्ज कराई है, न ही कार्यालय को कोई सूचना दी है। विभाग अब इन चिकित्सकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इन सभी को नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

विभाग ने बॉन्ड साइन कराने के बाद ही एमपी आनलाइन के जरिए पोस्टिंग के लिए एमबीबीएस चिकित्सकों के लिए दो चरणों 30 मई से 8 जून फिर 24 से 28 जून तक पंजीकरण व च्वाइस फिलिंग के लिए काउंसलिंग कराई गई। बाद में यह व्यवस्था ओपन कर दी गई। बावजूद 205 चिकित्सकों ने आनलाइन पोस्टिंग के लिए पंजीयन नहीं कराया।

ठीक यही स्थिति एमएस व एमडी चिकित्सकों की रही है। 6 से 12 अगस्त तक काउंसलिंग आयोजित होने के बाद प्रक्रिया ओपन कर दी गई, लेकिन 85 एमडी-एमएस डॉक्टरों ने पोस्टिंग के लिए पंजीयन नहीं कराया।

उक्त दोनों वर्ग के चयनित 290 चिकित्सकों द्वारा बरती जा रही ऐसी लापरवाही के चलते स्वास्थ्य विभाग की अपर संचालक (प्रशासन) शैलबाला मार्टिन ने इस संबंध में सभी को नोटिस जारी कर चेतावनी दी है कि अगर पदस्थापना चयन के लिए एमडी-एमएस कैटेगरी के चिकित्सक 16 सितंबर व एमबीबीएस कटैगरी के चिकित्सक 17 तरीख तक कार्यालय पहुंचे नहीं तो बॉन्ड को निष्फल मानकर सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


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