भोपाल। पत्नि के अलावा किसी दूसरी महिला से नजदीकी पत्नि पर अत्याचार नहीं माना जा सकता। यह फैसला सुप्रीमकोर्ट ने दिया है।
कोर्ट का कहना है कि ऐसा मामला क्रूरता के दायरे में नहीं आएगा जब तक कि पति की नजदीकी अन्य महिला के साथ इतनी न हो जाए कि उसकी पत्नी आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाए। जस्टिस केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हमारा ऐसा मानना है कि शादीशुदा रिश्ते के कायम रहने के दौरान अगर पति किसी और के नजदीक आ जाता है और वह अपनी वैवाहिक जिम्मेदारियां नहीं निभाता है तो भी यह पत्नी के साथ क्रूरता नहीं है। लेकिन अगर दूसरी महिला से पति की नजदीकी इस कदर हो कि पत्नी आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाए तो आईपीसी की धारा 498-ए के तहत मामला बनता है।