राकेश दुबे@प्रतिदिन। आज नरेन्द्र मोदी ने स्वत: कहा है कि वे २०१७ तक गुजरात की सेवा करना चाहते हैं | वर्तमान परिस्थितियाँ, राजनैतिक समीकरण, भाजपा का अंतर्विरोध, गुजरात पुलिस के शूरवीरों के बयान , नरेंद्र मोदी के आज के निर्णय को उचित ठहराते है |
इस परिस्थिति में चिंतक और विचारक के एन गोविन्दाचार्य की सलाह उचित जान पडती है| जो गोविन्दजी ने एक टेलीविजन शो के द्वारा नरेंद्र मोदी को दी थी | गोविन्दजी ने कहा था कि “नरेंद्र मोदी को अभी कुछ समय और सीखने में लगाना चाहिए |”
दिल्ली में सब नरेंद्र मोदी के हितैषी नहीं है| भाजपा ने वंजारा के पत्र के बाद बड़ी मुश्किल से और अनमने मन से मोदी का बचाव किया | ९ सितम्बर की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुख रहेगा | भाजपा चुनाव के समय, अपने तुष्टिकरण के कार्ड को बहुत संभाल कर खेलेगी | वंजारा के पत्र को लेकर दिल्ली [केंद्र] सरकार के मंसूबे भी कुछ ठीक नहीं है |
केन्द्रीय गृह मंत्रालय जेल में बंद ३२ पुलिस अधिकारियों, जिनमें ७ भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी है, को गम्भीर विषय मानकर कुछ और करने की सलाह दे चुका है | राज्यपाल कमला बेनीवाल लोकायुक्त विधेयक को पुनर्विचार हेतु वापिस कर चुकी है| गुजरात सरकार ने यद्धपि यह तरकीब केंद्र से सीखकर विधेयक बनाया था | केंद्र सरकार तो सूचना अधिनियम के साथ सर्वोच्च न्यायालय तक के फैसले पलट चुकी है |
राज्य सरकार की नीति और उसके परिपालन की प्रक्रिया पर भी अभी नरेंद्र मोदी चुप हैं| यह प्रश्न डी जी वंजारा के उस पत्र से उपजा है, जिसमें वे अपने सहित ३१ अधिकारियों के जेल में रहने का कारण शासन की नीतियों का परिपालन बताते हैं | परिस्थिति की सुईयां विपरीत दिशा में देखकर ही नरेंद्र मोदी २०१७ तक गुजरात में रहना चाहते हैं | देखिये ९ सितम्बर को क्या होता है ? सामूहिक नेतृत्व या एकला चलो ?
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com