भोपाल। आदिवासियों की राजनीति के नाम पर कांतिलाल भूरिया पहले केन्द्रीय मंत्री तो अब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। वो सीएम बनने का सपना भी देख रहे हैं परंतु एक ऐसा नेता जो अक्सर एबसेंट माइंड होता हो, क्या उसे सीएम बनाया जा सकता है।
भोपाल में कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी और मंत्रीजी अपनी सरकार के खास अधिनियम गिना रहे थे। इसी दौरान जिक्र हुआ वन अधिकार अधिनियम 2006 का, फिर क्या था मंत्री जी बगल में बैठे भूरिया से सवाल कर बैठे कि यह अधिनियम किसके रहते बना। लेकिन भूरिया साहब भूल गए कि यह उनके मंत्री रहने के दौरान ही बना था और बगले झांकने लगे।
बाद में जयराम रमेश ने उन्हें याद दिलाया कि आपके रहने पर यह अधिनियम बना था। हालांकि भूरिया के भूलने पर उन्होंने आश्चर्य भी जताया, फिर क्या था भूरिया साहब शर्म से लाल हो गए। झेंपते रहे, चेहरा शांत रहा, हाथों से दुपट्टे को मसलते हुए अपनी खीझ निकालते रहे और कुछ नहीं बचा तो बड़ा बचकाना सा जवाब देकर मामले से पल्ला झाड़ा।
खैर, भूरिया के भूलने की यह आदत कोई नई नहीं है और इसकी वजह से उनको कई बार शर्मसार भी होना पड़ा है लेकिन हम तो यही कहेंगे कि भाई जयराम रमेश साहब को भी यूं खुलेआम सवाल नहीं पूछना चाहिए था आखिर उन्हीं की पार्टी के नेता हैं भूलने की आदत से तो परिचित होंगे ही।