राकेश दुबे@प्रतिदिन। मुलायम सिंह को आगरा में सपना आ गया है, 2014 में केंद्र सरकार तीसरे मोर्चे की बनेगी| नरेंद्र मोदी को एनडीए की सरकार बनने आकाशवाणी दिन में 24 बार सुनाई देती है| कांग्रेस को यह आभास हो गया है की सरकार उसके नेतृत्व में यूपीए की बनेगी|
सब अपने कार्यकर्ताओं को ऐसे ही समझा रहे हैं| जनता यह समझ गई है और हालात भी साफ हैं कि कितनी भी कोशिश हो किसी एक बड़े दल को 272+ मिलने के आसार नहीं है| संसद त्रिशंकु होगी और कौन किसके साथ होगा यह भविष्य का विषय है| तीसरे मोर्चे की सरकार का इल्म मुलायम सिंह को हो रहा है, पर भारतीय राजनीति में तीसरे मोर्चे की उपादेयता प्रश्नचिन्हों से घिरी है|
थोडा इतिहास की ओर देखें| १९८९ में तीसरे मोर्चे की पहली सरकार बनी थी| १९७७ तो की सरकार देश में पहला गैर कांग्रेसी सरकार का प्रयोग था| १९८९ में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चुनाव के पूर्व मोर्चा बनाया और उसमे चुनाव पश्चात एनी कई लोग शामिल हुए| अंतत: राष्ट्रीय मोर्चा दो ध्रुवीय राजनीति का शिकार हो गया| यह २०१४ का एक दृश्य हो सकता है| दूसरा दृश्य अटलबिहारी वाजपेयी की १३ दिन की सरकार का धराशाई होना है|
जहाँ मौजूदा माहौल कांग्रेस विरोधी दिखाई देता है |वही एन डी ए के साथ जुड़ने वालों में परहेज की भावना प्रबल है और तीसरे मोर्चे की कल्पना मुलायम सिंह को दिखनेवाले सपने की तरह है, इसका कोई अस्तित्व अभी तो नहीं है|
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
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