10 वर्षो की सेवा व क्रमोन्नति का वेटेज न मिलने से अध्यापक खफा: 22 को भोपाल में प्रदर्शन

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भोपाल। गत दिवस अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा की प्रांतीय बैठक हुई जिसमें अध्यापक प्रतिनिधियों ने 16 वर्षो की सेवा पूर्ण कर चुके अध्यापकों के साथ घोर अन्याय को लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त किया और 22 सितम्बर को भोपाल में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया है।

राज्य अध्यापक संघ म.प्र. के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मुख्यमंत्री जी के समान कार्य समान वेतन की घोषणा के परिपेक्ष्य में जारी हुये आदेश विसंगतियों से परिपूर्ण हैं उसमें समान कार्य समान वेतन की कोई भावना दिखाई नहीं देती। अध्यापकों में इस बात को लेकर घोर नाराजगी है कि 1998 में नियमित नियुक्ति के बाद भी सरकार सेवा की गणना 2007 से कर रही है जबकि सेवाएं पूर्व की भांति स्थानीय निकाय के अधीन ही रहेंगीं।

वेतन निर्धारण में पूर्व की 10 वर्षो की सेवा का वेटेज न मिलने से अध्यापक परेशान और हैरान है। अध्यापकों का कहना है कि एक तो सरकार वैसें ही चार किस्तों का बोझ लादकर अध्यापकों के साथ अन्याय कर रही है लेकिन चार किस्तों की गणना में भी सरकार ने ईमानदारी नहीं दिखाई है। एक तो पहले ही सरकार ने अध्यापकों को वरिष्ठ पद का  क्रमोन्नत वेतनमान न देकर सौतला व्यवहार किया है वहीं शिक्षक के समान वेतन की गणना में क्रमोन्नत अध्यापकों को कोई वेटेज नहीं दिया।

अध्यापकों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि जब सरकार अध्यापकों को शिक्षक के समान वेतन देने की बात कह रही है तो शिक्षक के समान क्रमोन्नति और भत्तों का लाभ क्यों नहीं दे रही है। बैठक में अध्यापकों ने तय किया है कि वे क्रमोन्नति में पदोन्नत पद का का वेतनमान लेने के लिये 22 सितम्बर को भोपाल में जुटेंगें और अपनी मांग के समर्थन में प्रदर्शन करेंगें। इस बीच 22 सितम्बर के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये ब्लाक और जिला स्तर पर बैठकें आयोजित की जायेंगीं और ज्ञापन सौंपे जायेंगें।

वरिष्ठ अध्यापक का वेतन अध्यापक से कम-अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा ने सरकार पर आरोप लगाया है कि शिक्षक के समान वेतन देने के जारी आदेश में विभाग ने गलत फार्मूले को अपनाया है जिससे एक तरफ अध्यापकों का वेतन शिक्षक संवर्ग के बराबर नहीं हो रहा है वहीं दूसरी तरफ इसमें गम्भीर विसंगतियां भी आ रही हैं। इस आदेश के अनुसार जब 2017 में किश्तों का समायोजन कर वेतन निर्धारण किया जायेगा। तो वरिष्ठ अध्यापक का मूलवेतन अध्यापक के मूलवेतन से कम होगा। जो कि मान्य नहीं किया जा सकता।

पदोन्नति बनी अभिशाप- एक ही दिनांक में नियुक्त हुये अध्यापकों में से जिन अध्यापकों की वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नति हो गई है उन्हैं पदोन्नति से कुछ खास लाभ नहीं मिला लेकिन वरिष्ठ अध्यापक पद पर आ जाने के कारण उनकी सभी किस्त मात्र 1350रू. की मिलेगी लेकिन जिन साथी अध्यापकों की पदोन्नति नहीं हुई और वे अध्यापक पद पर ही है उनकी सभी किस्त 2600रू. की होगी। यहां वरिष्ठ अध्यापक के लिये पदोन्नति अभिशाप साबित हो रही हैं।

पूर्व की घोषणा पर अमल नहीं- अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा ने सरकार पर आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री जी द्वारा अध्यापकों को बीमा योजना और स्थानांतरण नीति आदि का लाभ देने की बात कही गई थी जिसके आदेश अभी तक प्रसारित नहीं हुये है।

(डी.के.सिंगौर)

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