राकेश दुबे@प्रतिदिन। और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के दूत शहरयार खान अपनी बात से पलट गये| पहले कह बैठे थे कि दाउद इब्राहीम पाकिस्तान में नहीं है, अब पलट गये है| भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश में हमेशा पाकिस्तान की राष्ट्रीय प्रवृत्ति “यू टर्न” आड़े आती है|
आम पाकिस्तानी नागरिक से लेकर जिम्मेदार पदों पर बैठे मंत्री और प्रधानमंत्री तक इस प्रवृत्ति से बचे नहीं है| कुछ लोग कभी गफलत में कुछ कह बैठते है, तो पाकिस्तान की सेना फ़ौरन उसे सुधार देती है| नवाज़ शरीफ भुक्त भोगी है| जनरल मुशर्रफ ने इन्हें और नवाज़ शरीफ ने उन्हें जेल के दरवाजे दिखा दिए| भारत के बारे में इनके रवैये हमेशा एक जैसे रहे, शांति की बात करते रहे और आतंकवादियों के शिविर , बड़े आतंकियों को प्रश्रय जैसे कारनामे भी करते रहे|
बड़ी उम्मीद बांधी थी भारत सरकार ने, पाकिस्तान के चुनाव से| सही भी था| पाकिस्तान में पहली बार प्रजातांत्रिक तरीके से सत्ता का हस्तांतरण जो हुआ था| भारत के नागरिकों की गलतफहमी सीमा पर सैनिकों के कटे सिरों, रोज़ होती सैनिक हत्याओं, घुसपैठ और आतंकवादियों और अपराधियों को संरक्षण ने साबित कर दिया कि इस सरकार की भी कितनी रूचि भारत के साथ संबंध सुधारने में है| दाउद का पता तो मालूम होते हुए भी न मालूम है, परन्तु हाफ़िज़ सईद तो लाहौर से भारत पर हमले की बात कर रहा है| फिर नवाज़ शरीफ चुप क्यों हैं ?
सीमा पर लगातार पाकिस्तानी सेना गोलीबारी कर रही है, गुजरात के वलसाड में घुसपैठ होने के संकेत आ रहे है और नवाज़ शरीफ शराफत दिखा रहे हैं | यह गलतफहमी है, भारत सरकार को अब तो मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय प्रवृत्ति “यू टर्न” है|
