भोपाल। राधौगढ़ के राजकुंवर जयवर्धन सिंह को लेकर भाजपा के दो नेता आपस में भिड़ गए हैं। भाजपा ऊर्जा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सहसंयोजक डा. आलोक भार्गव ने भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप मौर्य को 'चोर' संबोधित किया है।
मामला दिग्विजय सिंह के चिरंजीव जयवर्धन सिंह के मुख्य आतिथ्य में औरोन में हुए शासकीय योजनाओं के भूमिपूजन का है। 28 जून को हुए इस आयोजन पर गुना के भाजपा नेता एवं भाजपा ऊर्जा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सहसंयोजक डा. आलोक भार्गव ने आपत्ति जताते हुए प्रेस रिलीज जारी किया गया था जो भोपालसमाचार.कॉम में भी प्रकाशित हुआ।
इसके बाद 1 जुलाई को इसी मुद्दे को लेकर युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप मौर्य के नाम से एक प्रेस रिलीज भाजपा मीडिया सेंटर की ओर से जारी हुआ। विषय हूबहू वही था, केवल नाम बदल गया था।
डॉ आलोक भार्गव ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए अपनी फेसबुक पर अमरदीप मौर्य को 'चौर्य' अर्थात चोरी करने वाला संबोधित किया है। डॉ भार्गव ने अपनी एफबी वॉल पर क्या लिखा हम शब्दश: प्रकाशित कर रहे हैं, आप भी पढ़िए:-
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'अमरदीप चौर्य, आज से इन्हें इसी नाम से जाना जाए। संस्कृत में " चौर्य " का मतलब चोरी करना होता है।गुना में मेरे द्वारा जारी किये गए बयान को चुराकर ,भोपाल में खुद के नाम से जारी कर दिया। मौलिकता विहीन लोग छपास रोगसे ग्रसित है। दिग्विजय सिंह के शासन काल में गृह जिले गुना , राघोगढ़ विधानसभा में रहकर दमन का जो दंश हमने झेला है, उसकी बानगी से इनकी रूह काँप जाएगी। रातों को पुलिस द्वारा उठाकर ले जाना, जेल की बैरक में मूत्रालय के बगल में सूखी रोटियां खाकर रातें गुजारना, मतदानकेंद्र पर कांग्रीसियो द्वारा जबरिया पेशाब पिलाना, कम्बल कुटाई करना और सरकारी मास्टरी कर रहे अभिभावकों को प्रशासन द्वारा धमकाया जाना सब कुछ हंसकर सह लिया हमने पर यह छल रह रह कर सता रहा है, आन्दोलनो और वैचारिक संघर्ष में लदे दर्जन भर पुलिस प्रकरणों के चलते अपना स्वर्णिम केरियर गवां चुके हमें, बायोटेक्नोलोजी में पीएचडी होकर ,दसवी फेल नेताओ द्वारा ठगा जाना बर्दाश्त नहीं हो रहा है. क्रिकेट की पिच पर गिल्लियां उड़ाकर तालियाँ बजवाना और शरीर पर तेल मंजे लट्ठ खाना दोनों में जमीन आसमान का अंतर है
नियति ने आज राजनीति में ला दिया है, यदि ऐसा शोध क्षेत्र में हुआ होता तो बौद्धिक सम्पदा अधिकार कानून के तहत न्यायालय की शरण में जा पहुँचता। पर राजनीती है इसलिए आप लोगो के दरबार में हाजिर हूँ।'
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कुल मिलाकर संघ के निष्ठावान संगठनमंत्री की पोल एक बार फिर खुल गई है और एक बार फिर यह साबित हो गया कि इम्पोर्ट किए गए नेताओं के सहारे भाजपा नहीं चलाई जा सकती। उनके पास अपना कोई अध्ययन नहीं होता और वो जमीनी नेताओं के विचार चुराकर नागपुर में अपने नंबर बढ़ाया करते हैं। शायद यही कारण है कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में अब संगठनमंत्रियों के प्रति कुछ खास सम्मान नहीं रह गया है।
सनद रहे कि अमरदीप मौर्य को भी युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष पद बैकडोर एंट्री से ही प्राप्त हुआ है। इसके लिए उन्होंने किसी भी निर्वाचन प्रक्रिया का सामना नहीं किया और मजेदार बात तो यह है कि अपनी नियुक्ति से आज दिनांक तक अमरदीप मौर्य 25000 युवाओं का एक साथ एक मैदान पर जुटाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं। पिछले दिनों संगठनमंत्रियों ने महामंत्री रामलाल ने भी अमरदीप की खूब खिंचाई की थी।
- डॉ आलोक भार्गव का 30 जून को प्रकाशित बयान पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
अमरदीप मौर्य के नाम से 1 जुलाई को जारी वही बयान पढ़ने के लिए कृपया किसी अन्य माध्यम का उपयोग करें, हमने एक ही विषय को दूसरी बार नाम बदलकर प्रकाशित करना उचित नहीं समझा।
